ब्रिसबेन: भारतीय टीम के हेड रवि शास्त्री (Ravi Shastri) को काफी मजूबत कहा जाता है और आम तौर पर वो जज्बाती नहीं होते लेकिन भारत की युवा टीम की ऑस्ट्रेलिया पर शानदार जीत के बाद रवि शास्त्री भी अपने आंसुओं पर काबू नहीं रख सके.


‘रो’ पड़े रवि शास्त्री


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शास्त्री (Ravi Shastri) गाबा का किला फतह होने के बाद हाथ में तिरंगा लेकर मैदान का चक्कर लगाते ऋषभ पंत, मोहम्मद सिराज और शार्दुल ठाकुर को देखकर भावुक हो गए.


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शास्त्री (Ravi Shastri) ने कहा, ‘मैं भावुक हो गया. आम तौर पर मेरी आंख में आंसू नहीं आते लेकिन मैं भी भावुक हो गया’.


उन्होंने कहा, ‘मेरी आंखें भर आई क्योंकि यह अवास्तविक था इन लड़कों ने जो किया, वह इतिहास में सबसे शानदार जीत में से एक के रूप में दर्ज हो जायेगा. कोरोना काल, खिलाड़ियों की चोटें और 36 रन पर आउट होने के बाद ऐसा प्रदर्शन’.


खिलाड़ियों को सारी सुर्खियां मिलने से क्या उन्हें लगता है कि श्रेय नहीं मिला, यह पूछने पर उन्होंने कहा, ‘कोच का काम होता है लड़कों को मानसिक रूप से तैयार करना. उनका जो माइंडसेट है उसको क्लीयर करने के लिए. ज्यादा पेचीदा करने की जरूरत नहीं और खेल सरल रखा तो काफी काम होता है’.


उन्होंने कहा, ‘और कोच का क्या. वो तो ड्रेसिंग रूम में बैठा रहता है. लड़के बाहर जाकर लड़ते हैं. कोई स्टेटमेंट का जरूरत नहीं. क्रिकेट बात करेगा’.


हमेशा मजबूत रहते थे शास्त्री 


भारत की अंडर 25 टीम के 22 वर्षीय कप्तान के रूप में 1984 में शास्त्री (Ravi Shastri) ने टीम मैनेजर को मोहम्मद अजहरूद्दीन को उनके दादा की सेहत नासाज होने के बारे में बताने नहीं दिया था क्योंकि अजहर उस समय भारतीय टीम में जगह बनाने की दहलीज पर थे और शास्त्री नहीं चाहते थे कि मैच छोड़कर वह यह मौका गंवाए.


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