नई दिल्ली. भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah) ने वैसे तो क्रिकेट के तीनों ही फॉर्मेट में अपनी बेहतरीन गेंदबाजी से नाम कमाया है, लेकिन उन पर टी20 और वनडे में ज्यादा सफल होने का ठप्पा ही लगता रहा है. लेकिन इस गेंदबाज के इन दोनों फॉर्मेट के बजाय टेस्ट क्रिकेट ज्यादा पसंद है, क्योंकि वहां गेंदबाज को ज्यादा आजादी के साथ गेंदबाजी करने और अपने हुनर को दिखाने का मौका मिलता है. बुमराह ने अपनी ये पसंद इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC)के लाइव पॉडकास्ट में वेस्टइंडीज के पूर्व तेज गेंदबाज इयान बिशप (Ian Bishop) और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व दिग्गज ऑलराउंडर शान पोलाक (Shaun Pollock) के साथ बात करते हुए बताई. बुमराह ने दोनों पूर्व दिग्गजों के सामने अपनी जिंदगी के कई राज बताए.



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इसलिए पसंद करते हैं टेस्ट मैच को ज्यादा
बुमराह ने कहा, क्रिकेट मैदान हर दिन छोटे होते जा रहे हैं और विकेट पहले से ज्यादा फ्लैट बनाए जाने लगे हैं. इसलिए हमें गेंद को बनाए रखने के लिए गेंदबाजों के लिए कुछ विकल्प चाहिए, ताकि वह कुछ कर सके. अंत में रिवर्स या पारंपरिक स्विंग या कुछ और. हां. टेस्ट क्रिकेट में परिस्थितियां ज्यादा बॉलर फ्रैंडली होती हैं. इसीलिए यह मेरा पसंदीदा फॉर्मेट है. लेकिन वनडे क्रिकेट में दोनों तरफ से नई गेंद होने लगी है, ऐसे में रिवर्स स्विंग मुश्किल ही कभी मिलता है. हम न्यूजीलैंड में खेल रहे थे, जहां बाउंड्री 50 मीटर की थी. ऐसे में आप छक्का मारने की नहीं भी सोच रहे तो भी छक्का हो जाता है. टेस्ट मैच में मुझे कोई समस्या नहीं है. जिस तरह चीजें होती हैं, उससे मैं खुश रहता हूं.


कभी एक्शन चेंज करने की जरूरत नहीं समझी
बुमराह के एक्शन को लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं. कई दिग्गज क्रिकेटर उन्हें इस एक्शन के कारण चोट ज्यादा लगने की बात कह चुके हैं, लेकिन बुमराह का कहना है कि उन्होंने कभी अपना एक्शन चेंज करने की नहीं सोची. बुमराह ने कहा, मैंने कभी प्रोफेशनल कोचिंग नहीं ली, कभी कोचिंग कैंप में नहीं गया. आज तक मैंने खुद ही सबकुछ टीवी देखकर, वीडियो देखकर सीखा है. बचपन में मैं हर उस गेंदबाज के एक्शन की नकल करने की कोशिश करता था, जो इंटरनेशनल क्रिकेट में 5 विकेट लेता था. ऐसे में मेरा एक्शन किसी खास गेंदबाज से प्रेरित नहीं है. बुमरान ने आगे कहा, कई लोगों ने एक्शन चेंज करने को कहा, लेकिन मैंने कभी ऐसा करने की कोशिश नहीं की. मैंने अपनी क्षमता बढ़ाने पर ध्यान दिया, क्योंकि मुझे खुद पर यकीन था.


छोटे रनअप का भी है खास राज
बुमराह ने अपने छोटे से रनअप का भी राज खोला. उन्होंने बताया कि बचपन में वे अन्य बच्चों के साथ घर के बैकयार्ड में खेला करते थे. ये छोटी सी जगह होती थी, जहां मुश्किल से इतना ही रनअप मिलता है. उसी रनअप में आपको सबकुछ झोंकना होता था. उन्होंने कहा कि इसी कारण मेरा रनअप इतना ही रह गया. मैंने लंबे रनअप के साथ गेंद फेंकने की भी बाद में कोशिश की, लेकिन देखा कि गति तो अब भी इतनी ही है तो क्यों ज्यादा दौड़ लगाना. 


नहीं पता ग्राउंड पर वापसी के बाद क्या होगा
जब बुमराह से यह पूछा गया कि क्रिकेट से लंबा ब्रेक कोरोना संक्रमण के चलते होने का क्या असर हुआ है तो उन्होंने कहा, मैंने न्यूजीलैंड दौरे के बाद से गेंदबाजी नहीं की है. मैं खुद को फिट रखने के लिए मेहनत कर रहा हूं, लेकिन सही कहूं तो मुझे नहीं पता कि दो या तीन महीने बाद पहली गेंद डालने पर शरीर क्या प्रतिक्रिया देगा. मैं खुद को फिट रखने के लिए मेहनत कर रहा हूं ताकि मैदान पर वापस लौटते समय शरीर सही स्थिति में रहे. मैं सप्ताह में छह दिन मेहनत कर रहा हूं, लेकिन मैंने लंबे समय से गेंद नहीं फेंकी है, इसलिए उसकी प्रतिक्रिया क्या होगी. ये कहना मुश्किल है.


क्रिकेट में संक्रमण के कारण बदलावों का असर
बुमराह ने माना कि संक्रमण के डर से क्रिकेट में सोशल डिस्टेंसिंग जैसे उपाय अपनाए जाने का प्रभाव दिखाई देगा, लेकिन उनका कहना है कि मेरे ऊपर ये असर बहुत ज्यादा नहीं होगा. उन्होंने कहा, मैं बहुत ज्यादा किसी के गले नहीं लगता हूं और न ही high-five टाइप का आदमी हूं, इसलिए मुझे इससे ज्यादा दिक्कत नहीं होगी. हालांकि गेंद पर लार या थूक लगाने पर रोक से बुमराह भी चिंतित हैं. उन्होंने कहा, मेरी दिलचस्पी लार को लेकर है. मैं नहीं जानता कि क्या गाइडलाइंस हमें वापसी के बाद फॉलो करनी होंगी. लेकिन मेरा मानना है  कि इसका कुछ विकल्प होना चाहिए. यदि गेंद सही तरह से मेनटेन नहीं रखी जाएगी तो गेंदबाजों को परेशानी होगी.