कश्मीर के बैट उद्योग का बदल गया भाग्य, विलो बैट को अंतरराष्ट्रीय बाजार में मिली जगह
लगभग 12 क्रिकेट खेलने वाले देशों के बैट आयातकों ने कश्मीर बैट के कारखानों को ऑर्डर दिए हैं. भारत को आजादी मिलने के बाद 1947 में कश्मीर बैट उद्योग की स्थापना हुई थी. तब से घाटी में लाखों बैट बनाए गए, लेकिन किसी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ियों द्वारा उपयोग नहीं किया गया.
अनंतनाग (कश्मीर): कश्मीर विलो बैट आखिरकार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की दुनिया में आ गए हैं. दुबई में आयोजित पिछले टी20 वर्ल्ड कप में 75 साल में पहली बार 2 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ियों ने कश्मीर विलो बैट का इस्तेमाल किया. इस डिवेलप्मेंट ने कश्मीर विलो बैट उद्योग का भाग्य बदल दिया है. 100 करोड़ का सालाना कारोबार दोगुना होने की उम्मीद है.
कश्मीर विलो बैट की मांग बेहद बढ़ गई है और दुनिया भर से ऑर्डर आ रहे हैं. लगभग 12 क्रिकेट खेलने वाले देशों के बैट आयातकों ने कश्मीर बैट के कारखानों को ऑर्डर दिए हैं. भारत को आजादी मिलने के बाद 1947 में कश्मीर बैट उद्योग की स्थापना हुई थी. तब से घाटी में लाखों बैट बनाए गए, लेकिन किसी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ियों द्वारा उपयोग नहीं किया गया.
विलो बैट फैक्ट्री मालिक के मालिक फुज्जल कबीर ने कहा, 'कश्मीर में हमने पिछले 75 सालों में पहली बार जो कदम उठाया है, वह यह है कि हमारे बल्ले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है, लोगों को पता चला कि कश्मीर में एक उत्पाद है, जिसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में इस्तेमाल किया जा सकता है. हमें विभिन्न क्रिकेट खेलने वाले देशों के आयातकों से ऑर्डर मिले. यह पूरे उद्योग के लिए फायदेमंद है, क्योंकि ऑर्डर छोटे नहीं हैं, वे बड़े ऑर्डर हैं.'
कश्मीर विलो बैट के ऑर्डर कई देशों से आ रहे हैं. फैक्ट्री मालिकों का कहना है कि वे ज्यादा से ज्यादा बैट बनाने के लिए दिन रात काम कर रहे हैं. कश्मीर में जितना उत्पादन हो रहा है, उससे अधिक मांग है. फुज्जल कबीर ने कहा, 'हमारे पास 11-12 देश हैं, जिन्होंने हमें ऑर्डर दिया है और हम अकेले इसे पूरा नहीं कर सकते हैं, लेकिन पूरे उद्योग को साथ लेकर हम इसे पूरा करेंगे, हमारे पास ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, डेनमार्क और कई देशों के ऑर्डर हैं. निश्चित रूप से कश्मीर में पूरे कश्मीर क्रिकेट बैट निर्माता उद्योग के लिए एक नई सुबह है, इसने कश्मीर विलो बैट के नकारात्मक प्रचार को दूर कर दिया है, और हम अंग्रेजी विलो बैट के बराबर हैं, वह भी सस्ते दरों में.'
भारत सरकार ने हाल ही में कश्मीर बैट इंडस्ट्री को जीआई टैगिंग दी है. इसने उद्योग को क्वालिटी नियंत्रण के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान मिलेगी और यह एक ब्रांड बनेगा. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम्पीट करने के लिए बैट फैक्ट्री मालिकों ने देश के अलग-अलग हिस्सों से विशेषज्ञों को बैट बनाने के लिए नौकरी पर रखा है. वे विशेषज्ञ जिन्होंने सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग जैसे क्रिकेटरों के लिए बैट बनाए हैं, वे कश्मीर में हैं और कश्मीर को बेहतरीन विलो बैट बनाने में मदद कर रहे हैं.
बैट बनाने वाले कारिगर रवि टाइगर ने कहा, 'कश्मीरी विलो लकड़ी ठीक लकड़ी हैं, इसको जांचना पड़ता हैं, उसके बाद यह बैट बनाते हैं. इसे हर खिलाड़ी खेल सकता हैं, यह कारीगरों ने बेकार कर दो है यह अच्छी लकड़ी हैं.' कश्मीर क्रिकेट बैट उद्योग प्रति वर्ष लगभग 100 करोड़ का कारोबार करता है और यह उद्योग कश्मीर में लगभग 56 हजार लोगों को पालता है और अब इस नए बदलाव से उम्मीद है कि कारोबार दोगुना हो जाएगा.
बैट मैन्युफैक्चरर्स ने कहा कि इस बदलाव से कश्मीर बैट उद्योग को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि व्यापार से जुड़े सभी लोगों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार खुल गया है. अपने ब्रांडों के और प्रचार के लिए, कारखाने के मालिक भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों से संपर्क कर रहे हैं और उनसे कश्मीर विलो बैट को बढ़ावा देने और उपयोग करने के लिए कह रहे हैं उन्हें उम्मीद है कि भारतीय क्रिकेटर भविष्य में इन बल्ले का इस्तेमाल करेंगे.