नई दिल्ली: महेंद्र सिंह धोनी के बारे में अगर दो बातें कहनी हों तो एक तो यह होगी कि वे लंबे-लंबे छक्के लगाते हैं और दूसरा सटीक निर्णय लेने में माहिर हैं. समय के साथ उनके छक्के कम होते गए हैं, लेकिन निर्णय में सटीकता बढ़ती गई है. कई बार तो यह भी कहा जाता है कि कप्तान विराट कोहली अपनी टीम में एमएस धोनी (MS Dhoni) को इसलिए रखते हैं, ताकि डीआरएस (DRS) लेने में कोई गलती ना हो. ऐसे में अगर धोनी कैच की अपील पर कोई गलती कर बैठें, तो खबर बननी तय है. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए पहले वनडे मैच में ऐसा ही हुआ. 


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ऑस्ट्रेलियाई टीम ने भारत के खिलाफ (India vs Australia) शनिवार (2 मार्च) टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी की. इस दौरान उनकी पारी के 19वें ओवर में भारतीय कप्तान विराट कोहली ने केदार जाधव (Kedar Jadhav) को गेंद सौंपी. ओवर की पहली ही गेंद पर जाधव ने सीधी गेंद फेंकी, जिस पर मार्कस स्टोइनिस (Marcus Stoinis) ने स्ट्रेट ड्राइव किया. जाधव ने इसे आसानी से लपक लिया. जाधव गेंद लपकते ही इसे विकेटकीपर की ओर थ्रो करना चाहते थे. 


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यहां तक सब ठीक था, लेकिन जैसे ही गेंद जाधव के हाथों में आई तो एमएस धोनी ने तुरंत विकेट के पीछे से अपील कर दी. हालांकि, पहली नजर में ऐसा लग रहा था कि जाधव को भी यकीन नहीं है कि उन्होंने कैच लपका है. वे तो गेंद पकड़ने के बाद उसे विकेटकीपर की ओर फेंकने वाले थे. लेकिन उन्होंने जैसे ही देखा कि धोनी कैच की अपील कर रहे हैं, तो वे भी उनका साथ देने लगे. 


 




इधर, धोनी देर तक अपील करते रहे. इससे अंपायर भी शंका में आ गए कि कहीं ये विकेट ना हो. अंपायर ने लेग अंपायर से जाकर बात की. फिर इसे थर्ड अंपायर की ओर चेक करने के लिए भेजा. जब इस गेंद को रीप्ले में देखा गया तो पाया कि गेंद स्टोइनिस के बल्ले पर लगने के बाद साफ-साफ ज़मीन पर टकराई और फिर जाधव के हाथों में गई.


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धोनी की इस अपील पर तो विकेट नहीं मिला. लेकिन इसके बाद 20वें ओवर में जाधव ने स्टोइनिस को विराट के हाथों ऐसा कैच आउट करवाया कि किसी के पास भी शक की कोई गुंजाइश नहीं रही. एमएस धोनी ने भी 30वें ओवर में पीटर हैंड्सकॉम्ब को इतनी सफाई से स्टंपिंग किया कि ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज को ना तो अंपायरों की ओर देखना पड़ा और ना ही वे पीछे मुड़े. वे सीधे पैवेलियन लौट गए.