इस भारतीय क्रिकेटर के बेटे ने ही तोड़ा अपने पिता का 30 साल पुराना रिकॉर्ड
बेटे की इस कामयाबी पर नयन मोंगिया का कहना है कि, ``मैं बहुत खुश हूं कि मेरे बेटे ने इस रिकॉर्ड को तोड़ा है. मोहित शानदार खेल रहा है और वह इस रिकॉर्ड के योग्य भी है.`
नई दिल्ली: ''पिता पर पूत…. सईस पर घोड़ा…. बहुत नहीं तो थोड़ा-थोड़ा'' यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी, लेकिन पूर्व भारतीय क्रिकेटर नयन मोंगिया के बेटे मोहित मोंगिया इस कहावत से आगे निकल गए हैं. मोहित अपने पिता से आगे क्रिकेट में एक कदम आगे बढ़ गए हैं. बता दें कि नयन मोंगिया भारत के पूर्वविकेटकीपर-बल्लेबाज रह चुके हैं. मोंगिया के बेटे मोहित इन दिनों अंडर-19 क्रिकेट टीम में धूम मचाए हुए हैं. हाल ही में एक टूर्नामेंट के दौरान मोहित ने अपने ही पिता के 30 साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया है.
बता दें कि मोहित मोंगिया इन दिनों कूच बिहार ट्रॉफी में बड़ौदा टीम की कमान संभाले हुए हैं. इस टूर्नामेंट के एक मैच में मोहित ने अपने पिता के 30 साल पुराने सर्वोच्च स्कोर के रिकॉर्ड को धराशाई कर दिया है.
दरअसल, मोहित ने मुंबई के खिलाफ 246 गेंदों में नाबाद 240 रनों की पारी खेली. यह बड़ौदा की ओर कूच बिहार ट्रॉफी में किसी बल्लेबाज का सर्वाधिक स्कोर है. इससे पहले नयन मोंगिया ने 1988 में केरल के खिलाफ 224 रन बनाए थे.
नयन मोंगिया ने नहीं बनने दिया अपने बेटे को विकेटकीपर, तो उसने चुनी ये भूमिका
बेटे की इस कामयाबी पर नयन मोंगिया का कहना है कि, ''मैं बहुत खुश हूं कि मेरे बेटे ने इस रिकॉर्ड को तोड़ा है. मोहित शानदार खेल रहा है और वह इस रिकॉर्ड का हकदार भी है.'
उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि, 'मोहित ने मुझे कॉल किया था. वह इस पारी को लेकर काफी खुश है. भारत की ओर से 44 टेस्ट और 140 वनडे खेल चुके नयन ने कहा कि उसे सिर्फ एक डबल सेंचुरी से ही संतुष्ट नहीं होना चाहिए.'
इस मुकाबले में केरल ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 370 रन बनाए थे. मोहित के दोहरे शतक की बदौलत बड़ौदा ने दिन का खेल खत्म होने तक 7 विकेट पर 409 रन बना लिए थे, मोहित नाबाद लौटे.
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले मोहित ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह अपने पिता की तरह विकेटकीपर क्यों नहीं बने. मोहित स्लो-लेफ्ट-आर्म गेंदबाज हैं. मोहित का कहना था कि, ''पिता ने बताया था कि विकेटकीपिंग की ज्यादा कद्र नहीं होती.''
साथ ही मोहित को खुद भी शुरू से ही लगता था कि वह विकेटों के पीछे खड़े होने के लिए क्रिकेटर नहीं बना है, इसलिए उसने क्रिकेट में अपने पिता से अलग रास्ता चुना.