World Cup 2023: पाकिस्तान को 1 विकेट से हराते ही साउथ अफ्रीका टीम पॉइंट्स टेबल में पहले स्थान पर पहुंच गई है. टीम के 6 मैचों में 10 अंक हैं और अब टॉप-4 में जगह बनाने की राह भी बेहद आसान नजर आ रही है. इस जीत के साथ ही मानो अफ्रीकन टीम ने अपने ऊपर से 'चोकर्स' का धब्बा मिटा दिया हो. अगर आंकड़े देखें तो यह लगेगा कि साउथ अफ्रीका क्रिकेट की सबसे अनलकी टीमों में से एक है. इतिहास गवाह है कि बड़े टूर्नामेंट्स में टीम का प्रदर्शन बेहद ही निराशाजनक रहा है. लेकिन इस जीत ने मानो टीम पर से चोकर्स का टैग ही मिटा दिया हो.


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साउथ अफ्रीका का नाम पड़ा 'चोकर्स'


आप पढ़कर हैरान रह गए होंगे कि जिस टीम में इतने धांसू बल्लेबाज रहे हों और मौजूदा समय में भी जो टीम इतना बेहतरीन क्रिकेट खेल रही है, भला उसे चोकर्स क्यों कहा जाएगा. लेकिन इसके पीछे एक बेहद ही दिलचस्प किस्सा है. बात है 1999 वर्ल्ड कप की, जिसके सेमीफाइनल मुकाबले के बाद से ही टीम को 'चोकर्स' कहा जाने लगा. बड़े मुकबलों में साउथ अफ्रीका टीम को चोकर्स का टैग मिल गया. चोकर्स का मतलब होता है अटक जाना या रुक जाना. 


सेमीफाइनल की वो कहानी


साल 1999. दिन 17 जून. ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका वर्ल्ड कप का सेमीफाइनल मैच. उस समय की ये दोनों की टीमों ताकतवर मानी जाती थीं. ऑस्ट्रेलिया की टीम किसी तरह से 213 रन बोर्ड पर लगाने में कामयाब रही साउथ अफ्रीका को जीत के लिए 214 रनों का लक्ष्य मिला. अफ्रीका की शुरुआत अच्छी रही. ओपनर गैरी कर्स्टन और हर्शल गिब्स के बीच पहले विकेट के लिए 48 रनों की साझेदारी हुई. इसके बाद शेन वॉर्न ने दोनों बल्लेबाजों की आउट करा दिया. इसके बाद टीम के लगातार विकेट गिरने के सिलसिला शुरू कर दिया और टीम के 198 रन पर 9 बल्लेबाज आउट हो चुके थे. लेकिन कहानी में अभी ट्विस्ट बाकी था.


'क्लूजनर' ने जिंदा रखी उम्मीद


साउथ अफ्रीका के 9 विकेट जरूर गिर चुके थे. लेकिन टूर्नामेंट के सबसे बेहतरीन खिलाड़ी लांस क्लूजनर क्रीज पर मौजूद थे. इससे अफ्रीकन टीम की जीत की उम्मीदें भी बरकरार थीं. उनके साथी थे एलन डोनाल्ड टीम को 8 गेंद पर चाहिए थे 16 रन. सबको क्लूजनर से उम्मीदें थीं. उन्होंने अगली गेंद पर छक्का जड़ा और फिर एक रन लेकर आखिरी ओवर में स्ट्राइक अपने पास रखी. अब टीम को 6 गेंदों में 9 रन की जरूरत थी. आखिरी ओवर की पहली दो गेंदों पर क्लूजनर ने लगातार चौके जड़ दिए, जिससे स्टेडियम में बैठे फैंस खिलाड़ियों से लेकर विपक्षी टीम तक को यह लग गया कि अब साउथ अफ्रीका मैच जीत रहा है. लेकिन कहानी में एक और ट्विस्ट बाकी था.


एक गेंद ने तोड़ दिया टीम का सपना


4 गेंदों में जीत के लिए चाहिए थे एक रन. ओवर की तीसरी गेंद पर क्लूजनर ने शॉट लगाया. लेकिन रन लेने में कामयाब नहीं हो सके. अब तीन गेंदों में 1 रन चाहिए था. ओवर की चौथी गेंद पर जो हुआ किसी को इसकी उम्मीद तक नहीं थी. क्लूजनर ने सामने की तरह शॉट लगाया, लेकिन गेंद स्टंप से जा लगी और मिड ऑफ की दिशा में चली गई. नॉन स्ट्राइकर एन्ड पर खड़े एलन डोनाल्ड गेंद को देखने के चक्कर रह गए. लेकिन क्लूजनर भागकर नॉन स्ट्राइकर एन्ड पर पहुंच गए. डोनाल्ड जब तक भागकर रन पूरा कर पाते तब तक वह रनआउट हो गए. चूंकि उस समय सुपरओवर का कोई चलन नहीं था तो अच्छे रन रेट के आधार पर ऑस्ट्रेलिया टीम फाइनल में पहुंच गई थी.


पाकिस्तान के खिलाफ भी लगभग कुछ ऐसी ही स्थिति थी


शुक्रवार को हुए पाकिस्तान के खिलाफ में भी साउथ अफ्रीका के स्थिति 1999 वाली ही थी. केशव महाराज और तबरेज शम्सी क्रीज पर थे. टीम को 11 रनों की जरूरत थी. हालांकि, गेंदें इतनी थीं कि आराम से यह बनाए जा सकते थे, लेकिन दिक्कत थी कि कोई मेन बल्लेबाज क्रीज पर नहीं था. हालांकि, इस बार साउथ अफ्रीका ने बाजी मार ली. दोनों के बीच आखिरी विकेट के लिए 11 रनों की मैच विनिंग साझेदारी हुई. जैसे ही विनिंग चौका लगा कप्तान टेम्बा बावुमा की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा. वह खुशी से फूले ही नहीं समा रहे थे. इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है देखिए.