सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान कहा जाता है. सचिन तेंदुलकर जब अपने करियर के चरम पर थे तो उन्होंने उस वक्त के महान स्पिन गेंदबाज शेन वॉर्न को खुद के सामने बौना साबित कर दिया. 26 साल पहले सचिन रमेश तेंदुलकर नाम का बल्लेबाज ऑस्ट्रेलिया के 285 रनों के लक्ष्य का पीछा करने के लिए मैदान पर उतरा. शारजाह में रेतीला तूफान आ गया और स्कोर को छोटा कर दिया गया. 


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क्रीज पर सचिन का तांडव


लेकिन, जब तूफान रुका तो मैदान के अंदर एक तूफान आया, जिसने पूरी ऑस्ट्रेलिया टीम को उड़ा दिया और इतिहास में अपना नाम दर्ज करवा दिया. इस तूफान का नाम था सचिन रमेश तेंदुलकर. सौरव गांगुली के साथ ओपनिंग करने उतरे सचिन तेंदुलकर ने मानो मन में कुछ ठान रखा हो. सचिन तेंदुलकर ने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को जिस तरह खेलना शुरू किया वो गुस्सा बल्लेबाजी में दिख रहा था. 


बेरहमी से पीटे गेंदबाज


सचिन तेंदुलकर ने शेन वॉर्न, कास्प्रोविज, स्टीव वॉ, टॉम मूडी किसी को नहीं बख्शा और लगातार आगे बढ़-बढ़ कर छक्के जड़े. भारत ये मैच हार गया था, लेकिन नेट रन रेट के दम पर फाइनल में जगह बना ली थी. शारजाह में 1998 में भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच कोका-कोला कप खेला गया था. इस त्रिकोणिय सीरीज का 22 अप्रैल को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच वनडे मैच खेला गया.


भारत ने फाइनल के लिए क्वालिफाई किया


इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले खेलते हुए अपने 50 ओवर में 7 विकेट के नुकसान पर 284 रनों का स्कोर खड़ा किया. इसके जवाब में  भारत को 46 ओवर में 276 रनों का संशोधित लक्ष्य मिला. भारतीय टीम 5 विकेट पर 46 ओवर में 250 रन ही बना सकी और मैच को 26 रनों से गंवा दिया, लेकिन भारत को फाइनल के लिए क्वालिफाई करने के लिए 46 ओवर में 238 रनों की ही जरूरत थी जो उसने हासिल कर लिया गया.


131 गेंदो में 143 रन ठोके


सचिन तेंदुलकर ने यहां की जबरदस्त गर्मी के बीच 131 गेंदो में 143 रनों की यादगार पारी खेली. सचिन की  रेगिस्तान के बीच खेली गई इस पारी से भारत ने फाइनल में पहुंचने में कामयाबी हासिल की. इस मैच में उनकी पारी हर किसी के जेहन में आज भी ताजा है. सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर के दौरान वनडे में 18,426 और टेस्ट में 15,921 रन बनाए हैं. सभी प्रारूपों को मिलाकर सचिन के नाम 100 अंतरराष्ट्रीय शतक हैं.