केपटाउन :  भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच केपटाउन में होने वाले पहले टेस्ट में गरमी ने अपना असर और दखल दिखाना शुरू कर दिया है. मैदान के स्टाफ को पहले ही गर्मी की वजह से तेज पिच तैयार करने में दिक्कत हो रही थी. शहर में भी गर्मी की ही वजह से पानी की किल्लत हो रही है. ऐसे में टीम इंडिया को पानी बचाने का एक बहुत ही सख्त निर्देश मिला है. यह सख्त निर्देश केवल टीम इंडिया को ही नहीं बल्कि दक्षिण अफ्रीकी टीम के साथ साथ पूरे केपटाउन को आधिकारिक रूप से मिला है.


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इस आदेश का पालन करना करीब नामुमकिन ही है खास तौर पर खिलाड़ियों के लिए. निर्देश में कहा गया है कि कोई को भी नहाने के लिए शॉवर का इस्तेमाल दो मिनट से ज्यादा न करे. हालाकि टीम इंडिया के कई खिलाड़ी ऐसी जगह से आए हैं जहां पानी की किल्लत होती है, लेकिन टीम को पानी का इस तरह से बचाने की आदत शायद नहीं हो. इसके अलावा क्रिकेट में, खासतौर पर खेलने और प्रैक्टिस के बाद भी खिलाड़ियों को नहाने की जरूरत पड़ती हैं और जब गर्मियों का मौसम हो तो इसकी और भी जरूरत होती है.


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केपटाउन में ‘क्राइसिस लेवल 6 प्रतिबंध’ लागू कर दिए गए हैं क्योंकि वहां सर्दी भी सूखी थी. जमीन के नीचे पानी का स्तर भी काफी नीचे चला गया है. अब वहां पानी की किल्लट एक तरह से आपदा का रूप ले चुकी है. सिटि काउंसिल ने पानी बचाने के लिए एक व्यक्ति को केवल 87 लीटर प्रति दिन या महीने के केवल 10,000 लीटर पानी दिए जाने की अनुमति दी है. 


खिलाड़ियों दिक्कत फिर भी भारत के अच्छी खबर
ऐसी गर्मी में भी भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच टेस्ट मैच का आयोजन लोगों को खिलाड़ियों के लिए भी मुश्किल लग रहा है.लेकिन इसके बावजूद टीम इंडिया के लिए यह संकट अच्छी खबर यह लेकर आया है कि पहले टेस्ट में उसे तेज पिच मिलने की संभावना कम ही है. आम जनता अपने स्तर पर भी भीषण जलसंकट से जूझ ही रही है और उन्हें रोजमर्रा के कामों को निपटाने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है


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. केपटाउन में लेवल छह का मतलब है कि पीने के पानी को पेड़ों और पौधों में पानी नहीं दिया जा सकता. निर्देशों का पालन नहीं करके की सजा प्रति लीटर लगभग 51,000 रुपये है. ऐसे संकट में जब विशेषज्ञों ने आगामी अप्रैल तक पानी की गंभीर सूखे की आशंका जताई है, टेस्ट मैच के आयोजन पर भी सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं.