भारतीय टीम के इस दिग्गज कोच ने अचानक दुनिया को कहा अलविदा, शोक में डूबा खेल जगत
भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कोच रुस्तम अकरामोव का उज्बेकिस्तान में अपने पैत्रिक स्थल पर निधन हो गया. अकरामोव के मार्गदर्शन में 1995 में दिग्गज फुटबॉलर बाईचुंग भूटिया ने अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया था और टीम ने अपनी सर्वश्रेष्ठ फीफा रैंकिंग हासिल की थी.
नई दिल्ली: भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कोच रुस्तम अकरामोव का उज्बेकिस्तान में अपने पैत्रिक स्थल पर निधन हो गया. अकरामोव के मार्गदर्शन में 1995 में दिग्गज फुटबॉलर बाईचुंग भूटिया ने अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया था और टीम ने अपनी सर्वश्रेष्ठ फीफा रैंकिंग हासिल की थी. अकरामोव 73 साल के थे. उज्बेकिस्तान की राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार उज्बेकिस्तान के इस दिग्गज कोच का निधन 15 फरवरी को हुआ.
शोक में डूबा खेल जगत
उज्बेकिस्तान की ओलंपिक संस्था ने कहा, ‘उज्बेकिस्तान राष्ट्रीय ओलंपिक समिति और काउंसिल आफ स्पोर्ट्स वेटरंस आफ उज्बेकिस्तान रुस्तम अकरामोव के निधन के संदर्भ में उनके परिवार और मित्रों के प्रति संवेदना व्यक्त करती है.’ अपने करियर के दौरान उन्होंने उज्बेकिस्तान और पूर्व सोवियत फुटबॉल के विकास में बड़ी भूमिका निभाई. अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) ने अकरामोव के निधन पर शोक जताया है जो 1995 से 1997 तक राष्ट्रीय टीम के प्रभारी रहे.
भारत के रहे थे कोच
एआईएफएफ ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘हम भारतीय राष्ट्रीय टीम के पूर्व मुख्य कोच रुस्तम अकरामोव के निधन पर शोक जताते हैं. भगवान उनकी आत्मा को शांति दे.’ अपने संक्षिप्त कार्यकाल के दौरान अकरामोव कोई बड़ी ट्रॉफी नहीं जीत पाए लेकिन उनके मार्गदर्शन में सिक्किम के किशोर भूटिया को मार्च 1995 में थाईलैंड के खिलाफ नेहरू कप मैच में अंतरराष्ट्रीय पदार्पण का मौका मिला. अकरामोव के मार्गदर्शन में आईएम विजयन, कार्लटन चैपमैन और ब्रूनो कोटिन्हो जैसे दिग्गजों के अलावा युवा भूटिया भारतीय फुटबॉल टीम का हिस्सा थे.
भारतीय टीम को हासिल कराई कामयाबी
अकरामोव के मार्गदर्शन में भारतीय टीम फरवरी 1996 में अपनी सर्वश्रेष्ठ 94वीं रैंकिंग पर पहुंची. भारतीय टीम इसके अलावा 2017 और 2018 में 96वीं रैंकिंग पर पहुंची थी. अकरामोव का जन्म 1948 में ताशकंद के समीप हुआ. वह स्वतंत्र उज्बेकिस्तान के पहले कोच थे. उज्बेकिस्तान की राष्ट्रीय टीम ने 1992-1994 से दो साल के उनके कार्यकाल के दौरान हिरोशिमा एशियाई खेलों (1994) और मध्य एशियाई चैंपियनशिप में खिताब जीता. उज्बेकिस्तान फुटबॉल में शानदार योगदान के लिए उन्हें सुकरात पदक दिया गया. सरकार ने उन्हें उज्बेकिस्तान गणराज्य के माननीय कोच का भी खिताब दिया.