नई दिल्ली: लंबे समय से भारत रत्न पुरस्कार देने के मामले में हॉकी की अनदेखी एक बार फिर सामने आई है. साल 2019 में भी देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न के लिए मेजर ध्यानचंद की अनदेखी होने से हाकी दिग्गज दुखी हैं. उन्होंने कहा है कि भारत को खेल मानचित्र पर पहचान दिलाने वाले खेल और खिलाड़ी को यूं नकारना ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है. यूपीए सरकार ने 2014 में भारत रत्न के लिए खेल क्षेत्र को भी विभिन्न श्रेणियों में शामिल किया था. खेलों में हालांकि पहला और अब तक का एकमात्र भारत रत्न चैम्पियन क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को दिया गया है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

परिवार को अब नहीं कोी उम्मीद
ध्यानचंद के बेटे अशोक कुमार ने कहा कि उनके परिवार ने अब उम्मीद ही छोड़ दी है. उन्होंने कहा, ‘‘लगता है कि कोई भी सरकार उनके योगदान को समझ ही नहीं पा रही है. अब इतने साल के इंतजार के बाद हमारी उम्मीद टूटती जा रही है.’’ इस साल जनसंघ के नेता नानाजी देशमुख, मशहूर संगीतकार भूपेन हजारिका को मरणोपरांत और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया है. 


तीन ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाया है ध्यानचंद ने
तीन ओलंपिक (1928, 1932 और 1936) में भारत को गोल्ड मेडल दिलाने वाले ध्यानचंद के नाम की अनुशंसा यूपीए सरकार में खेलमंत्री रहे अजय माकन और मौजूदा भाजपा सरकार में खेलमंत्री रहे विजय गोयल ने 2017 में की थी. इसके अलावा पूर्व ओलंपियनों ने भी 2016 में उन्हें भारत रत्न से नवाजने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था. भारत की 1975 विश्व कप जीत के सूत्रधारों में रहे अशोक ने कहा, ‘‘भारत रत्न क्षेत्रवाद या राजनीति से परे होना चाहिए. उनकी अनदेखी नहीं होनी चाहिए जिन्होंने देश का नाम दुनिया भर में रोशन किया है.’’ 


असलम शेर खान ने की आलोचना
वहीं ओलंपियन असलम शेर खान ने कहा कि खेलों में सबसे पहले हाकी और हाकी में भी सबसे पहले ध्यानचंद को यह पुरस्कार मिलना चाहिए था. उन्होंने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस खेल ने आजादी से पहले और बाद में भी भारत को पहचान दिलाई, उसे और उसके सबसे बड़े खिलाड़ी को इस सम्मान के काबिल नहीं समझा जा रहा है. सरकार कोई भी हो, उन्हें यह सम्मान नहीं दे रही है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे खेलमंत्री ओलंपिक खेल में रजत पदक विजेता रहे हैं और ओलंपिक का नाम आते ही हाकी के आठ स्वर्ण पदक हमारा सीना चौड़ा कर देते हैं. उसके बावजूद हमें ध्यानचंद के लिए पुरस्कार की मांग करनी पड़ रही है जबकि यह तो उन्हें खुद ही मिल जाना चाहिए था.’’ 


दिलीप टिर्की ने भी जताया अफसोस
ओडिशा से पूर्व सांसद और हाकी कप्तान रहे दिलीप टिर्की ने कहा, ‘‘बहुत दुख होता है कि हमारे महान खिलाड़ी के योगदान को भुला दिया गया. सिर्फ हाकी जगत ही नहीं बल्कि पूरे देश की यह मांग है कि उन्हें भारत रत्न दिया जाना चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अभी तक ध्यानचंद के नाम पर ही विचार नहीं किया गया जबकि हाकी ने बलबीर सिंह सीनियर, केडी सिंह बाबू जैसे खिलाड़ी भी दिये हैं जो भारत रत्न के दावेदार हो सकते हैं.’’ इससे पहले 2011 में 80 से अधिक सांसदों ने ध्यानचंद को यह सम्मान देने की मांग की थी.


(इनपुट आईएएनएस)