नई दिल्ली. ओलंपिक पदकधारी साक्षी मलिक एशियाई खेलों से पहले टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन नहीं कर पा रही हैं जिससे उनकी फार्म सभी के लिये चिंता बनी हुई है और वह भी इस बात से वाकिफ हैं. लेकिन उनका कहना है कि खिलाड़ी हमेशा पदक को लक्ष्य बनाए रहते हैं ताकि उनके ऊपर ऊंगली नहीं उठे.


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हरियाणा की इस 25 वर्षीय पहलवान को अप्रैल में राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा था और हाल में वह इस्तांबुल में यासार दोगु अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में पदक दौर में पहुंचने से पहले ही बाहर हो गईं. उन्हें तीन अन्य पहलवानों (विनेश फोगाट, सुशील कुमार और बजरंग पूनिया) के साथ एशियाई खेलों के लिये ट्रायल्स में भाग नहीं लेने की छूट भी दी गई लेकिन हाल में भारतीय कुश्ती महासंघ के अधिकारियों ने मीडिया से कहा कि सुशील और साक्षी दोनों का फार्म में नहीं होना उनके लिए चिंता का विषय है.


साक्षी ने लखनऊ में ट्रेनिंग सत्र के बाद बात करते हुए कहा, ‘‘हम जब भी मैट पर उतरते हैं तब हम पदक जीतना चाहते हैं. पदक के बिना लौटने पर लोगों का सामना कैसे करते हैं, यह केवल हम ही जानते हैं. जब लोग सवाल पूछते हैं तो इनका जवाब देना काफी मुश्किल हो जाता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम भी अच्छा प्रदर्शन करना चाहते हैं ताकि कोई भी हम पर अंगुली नहीं उठा सके और हम ऐसे सवालों का सामना नहीं करें जिनका हमारे पास कोई जवाब नहीं हो.’’


साक्षी ने भी स्वीकार किया कि हाल के नतीजे उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहे हैं लेकिन उन्होंने कहा कि ऐसा प्रयासों की कमी के कारण नहीं है.


साक्षी ने कहा, ‘‘रियो ओलंपिक के बाद, मैंने कई चैंपियनशिप में अच्छा प्रदर्शन किया. एथलीट की जिंदगी में हमेशा उतार चढ़ाव होते रहते हैं लेकिन हम हमेशा अपना शत प्रतिशत देने और देश को गौरवान्वित करने का मौका हासिल करने की कोशिश करते हैं.’’ वह जकार्ता में 62 किग्रा वर्ग में भाग लेंगी, उन्होंने भी स्वीकार किया कि उन्हें खेलों से पहले मानसिक रूप से मजबूत होने की जरूरत है.


उन्होंने कहा, ‘‘मुझे मानसिक रूप से मजबूत होने और बेहतर होने की जरूरत है. जेएसडब्ल्यू ने मुझे खेल मनोचिकित्सक की मदद लेने में सहायता की. मुझे ध्यान लगाने और सकारात्मक सोच की सलाह दी गई. अब मैं ध्यान लगाती हूं और कभी कभार सोने से पहले अपने प्रदर्शन का आकलन भी करती हूं कि मैं हार क्यों रहीं हूं.