टोक्यो: भारत की पुरुष हॉकी टीम ने 41 साल के बाद ओलंपिक पदक जीतने का गौरव हासिल किया है. भारत ने टोक्यो ओलंपिक में जर्मनी के खिलाफ हुए रोमांचक मुकाबले में 5-4 से जीत दर्ज करते हुए ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा किया. ओलंपिक में भारत से हारने के बाद जर्मनी के हॉकी खिलाड़ियों का दिल टूट गया और वह मैदान पर ही रोने लगे.


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खूब रोए जर्मनी के खिलाड़ी


मैच के आखिरी चंद सेकंड में जर्मनी को मिले पेनल्टी कॉर्नर को ज्यों ही गोलकीपर पी आर श्रीजेश ने रोका, भारतीय खिलाड़ियों के साथ टीवी पर इस ऐतिहासिक मुकाबले को देख रहे करोड़ों भारतीयों की भी आंखें नम हो गई और जर्मनी के खिलाड़ी रोने लगे. 



चंद सेकंड में पलट गई बाजी


भारत से हारने के बाद जर्मनी के हाथों ओलंपिक में लगातार दूसरा ब्रॉन्ज मेडल जीतने का मौका निकल गया. 2016 के रियो ओलंपिक में जर्मनी ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था. भारतीय हॉकी टीम ने जर्मनी पर बढ़त लेने के बाद मैच में वापसी का मौका ही नहीं दिया. भारतीय खिलाड़ियों ने मैच की दिशा अपनी ओर मोड़ दी.


रोमांचक जीत के कई हीरो 


भारत की जर्मनी पर 5-4 से मिली इस रोमांचक जीत के कई सूत्रधार रहे, जिनमें दो गोल करने वाले सिमरनजीत सिंह (17वें मिनट और 34वें मिनट) हार्दिक सिंह (27वां मिनट), हरमनप्रीत सिंह (29वां मिनट) और रूपिंदर पाल सिंह (31वां मिनट) तो थे ही, लेकिन आखिरी पलों में पेनल्टी बचाने वाले गोलकीपर श्रीजेश भी शामिल हैं.


41 साल बाद किया कमाल 


भारतीय टीम 1980 मास्को ओलंपिक में अपने आठ गोल्ड मेडल में से आखिरी पदक जीतने के 41 साल बाद ओलंपिक पदक जीती है. मॉस्को से टोक्यो तक के सफर में बीजिंग ओलंपिक 2008 के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाने और हर ओलंपिक से खाली हाथ लौटने की कई मायूसियां शामिल रहीं.


दुनिया की तीसरे नंबर की टीम है भारतीय टीम


आठ बार की ओलंपिक चैंपियन और दुनिया की तीसरे नंबर की भारतीय टीम एक समय 1-3 से पिछड़ रही थी, लेकिन दबाव से उबरकर आठ मिनट में चार गोल दागकर जीत दर्ज करने में सफल रही. दुनिया की चौथे नंबर की टीम जर्मनी की ओर से तिमूर ओरूज (दूसरे मिनट), निकलास वेलेन (24वें मिनट), बेनेडिक्ट फुर्क (25वें मिनट) और लुकास विंडफेडर (48वें मिनट) ने गोल दागे.


टोक्यो ओलंपिक खेलों में भारत का चौथा पदक


टोक्यो ओलंपिक खेलों में यह भारत का चौथा पदक है. इससे पहले भारोत्तोलन में मीराबाई चानू ने रजत जबकि बैडमिंटन में पीवी सिंधु और मुक्केबाजी में लवलीना बोरगोहेन ने कांस्य पदक जीते थे. भारतीय टीम ने टूर्नामेंट में अपने प्रदर्शन ने ना सिर्फ कांस्य पदक जीता बल्कि सभी का दिल भी जीतने में सफल रही.


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