Indian rupee in Pakistan: भारत में 15 अगस्त के दिन को स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) के रूप में मनाया जाता है, यह वही दिन था जब लंबे संघर्ष के बाद भारत को साल 1947 में अंग्रेजों की क्रूरता (Cruelty of the British) से आजादी मिली थी. साल 1947 में ब्रिटिश शासन का अंत तो हो गया लेकिन आजादी के बाद यह उपमहाद्वीप दो टुकड़ों में बंट गया, जिसके एक हिस्से को भारत और दूसरे को पाकिस्तान कहा गया. इस बंटवारे में लाखों लोगों ने अपनी जाने गवां दीं, वहीं अनगिनत लोग घरों बेघर हो गए. आज पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान भारत को अपना सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी मानता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पाकिस्तान में बिना किसी बैंकिंग सिस्टम के बंटवारे के बाद उनका काम कैसे चल रहा था?


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पाकिस्तान के सामने मुद्रा की दिक्कत


बंटवारे के बाद पाकिस्तान को मुद्रा और सिक्के, विनिमय और सार्वजनिक ऋण के प्रबंधन, कर्मचारियों और संपत्ति के हस्तांतरण, मुनाफा, संपत्ति और देनदारियों से संबंधित मुद्दों पर एक व्यापक व्यवस्था का खाका खींचना था. आपको बता दें कि विभाजन की अनुमति के बाद अंतरिम सरकार द्वारा विभाजन के प्रशासनिक परिणामों की जांच करने और दोनों डोमिनियनों को सत्ता हस्तांतरण के लिए आवश्यक कदम उठाने की बात हुई, जिसके लिए कैबिनेट की एक विशेष समिति की स्थापना की गई थी. बाद में, 1 जुलाई, 1947 को समिति का स्थान विभाजन परिषद (Partition Council) ने ले लिया, जिसके अध्यक्ष गवर्नर जनरल और सदस्य के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग के दो-दो प्रतिनिधि थे.


1947 के बाद की कहानी


आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक नए -नवेले पाकिस्तान को मुद्रा की आपूर्ति करता था और स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के परिचालन शुरू होने तक यह केंद्रीय बैंक के रूप में भी कार्य करता था. पाकिस्तान बनने के बाद वहां इस्तेमाल की जाने वाली पहली मुद्रा भारतीय रुपया थी, जिस पर अंग्रेजी में 'पाकिस्तान सरकार' और नोट के सफेद हिस्से पर उर्दू में 'हकूमत-ए-पाकिस्तान' छपा हुआ था.


बस RBI को मिला था ये अधिकार


RBI के दस्तावेजों के मुताबिक बैंक को सितंबर 1948 के अंत तक पाकिस्तान में मुद्रा प्राधिकरण (Currency Authority in Pakistan), पाकिस्तान में केंद्रीय और प्रांतीय सरकारों का बैंकर होना था. दस्तावेजों में यह भी कहा गया है कि रिजर्व बैंक को 30 सितंबर, 1948 तक पाकिस्तान में नोट जारी करने का एकमात्र अधिकार था. जबकि भारतीय नोट 30 सितंबर, 1948 तक पाकिस्तान में वैध मुद्रा बने रहेंगे, आदेश में यह प्रावधान किया गया था कि 1 अप्रैल 1948 से बैंक द्वारा पाकिस्तान में नोट जारी किए गए, जिन पर अंग्रेजी और उर्दू में 'पाकिस्तान सरकार' लिखा हुआ था.


जब पाकिस्तान ने भरी हामी


उस वक्त तय प्रावधानों के मुताबिक इस बात पर सहमति बनी हुई थी कि मुद्रा और सिक्के 31 मार्च, 1948 तक दोनों जगहों पर सामान्य रहेंगे. अप्रैल से लेकर सितंबर तक एक संक्रमणकालीन अवधि रही जब दोनों जगहों पर करेंसी एक ही चल रही थी. आगे यह फैसला लिया गया कि पाकिस्तान के नए डिजाइन के सिक्कों की ढलाई 1 मार्च, 1948 को शुरू होगी और 1 अप्रैल, 1948 से पाकिस्तान में जारी किए जाएंगे. वहीं, 1 जुलाई, 1948 को रिजर्व बैंक ने बतौर केंद्रीय बैंक काम करना बंद कर दिया.