Sunny Deol Movie Gadar: बॉलीवुड स्टार सनी देओल (Sunny Deol) और अमीषा पटेल (Ameesha Patel) की आइकॉनिक फिल्म गदर के सीक्वल ने रिलीज के पहले ही दिन 40 करोड़ कमा डाले हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं सनी देओल और अमीषा पटेल की गदर एक रियल लव स्टोरी से इंस्पायर है. जी हां...गदर (Gadar Real Story) की कहानी तारा सिंह और सकीना की नहीं बल्कि बूटा सिंह और जैनब के प्यार की रियल लाइफ लव स्टोरी है. बूटा सिंह वह शख्स थे जो अपने प्यार को वापस लाने के लिए पाकिस्तान गए थे.


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बूटा सिंह की कहानी है सनी देओल की गदर!


मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ब्रिटिश आर्मी में सेवा देने वाले एक सिख पूर्व सैनिक बूटा सिंह (Boota Singh) की कहानी पर गदर फिल्म बनाई गई है. पंजाब के जालंधर में जन्मे बूटा सिंह ने इंडिया पार्टिशन के वक्त दंगों में जैनब नाम की पाकिस्तानी लड़की को बचाया था. इसी दौरान उन्हें प्यार हो गया. कहा जाता है कि बूटा सिंह और जैनब की दो बेटियां भी हुईं जिनका नाम तनवीर और दिलवीर था. लेकिन बूटा सिंह और जैनब की कहानी में दुखों की तब शुरुआत हुई जब भारत-पाकिस्तान के बीच एक समझौते के बाद दोनों देशों की महिलाओं को अपने परिवारों से मिलाने की कवायद शुरू हुई. 


अपने प्यार के लिए बूटा सिंह ने पार की थी सरहद!


खबरों की मानें तो समझौते की कवायद में जिन महिलाओं को सरहद पार भारत से भेजा जाना था, उनमें जैनब (Boota Singh-Jainab Love Story) का नाम भी आया. तब जैनब की इच्छा जाने-पूछे बगैर उन्हें पाकिस्तान के लिए रवाना कर दिया गया. कहा जाता है कि जैनब को विदा करने के लिए बूटा सिंह का पूरा गांव इकठ्ठा हुआ था और जैनब अपनी छोटी बेटी का हाथ थामे घर से निकली थीं. जैनब, अपने परिवार के पास पाकिस्तान के लाहौर में स्थित अपने गांव नूपुर जां पहुंची. वहीं दूसरी तरफ बूटा सिंह अपने टूटे परिवार को जैसे-तैसे संभाल रहे थे. 


रिपोर्ट्स की मानें तो पाकिस्तान में जैनब के माता-पिता के गुजरने के बाद उनकी जिंदगी बदल गई, जैनब पर दूसरे शख्स से शादी करने का दबाव बनाया जाने लगा. कहा जाता है कि जैनब ने तब अपने एक पड़ोसी से अनुरोध करके बूटा सिंह को चिठ्ठी भिजवाई थी और वह चिठ्ठी जब बूटा सिंह को मिली तो वह अपनी पत्नी को वापस लाने के लिए बैचेन हो उठे. 


बूटा सिंह की कहानी का हुआ दर्दनाक अंत!


रिपोर्ट्स के अनुसार, बूटा सिंह ने दिल्ली आकर अपनी पत्नी और बेटी को वापस लाने के लिए बात भी की थी. लेकिन उनकी जब सुनवाई नहीं हुई तो वह इस्लाम अपनाकर गैर कानूनी तरह से पाकिस्तान पहुंचे थे. कहा जाता है कि जब बूटा सिंह पाकिस्तान जैनब को लाने गए तो जैनब के परिवार ने उन्हें अपनाने से मना कर दिया और उन्हें पाकिस्तानी अधिकारियों के हवाले कर दिया. साथ ही साथ जैनब पर भी कई दबाव बनाए गए. फिर जब कोर्ट के सामने मामला पहुंचा तो जैनब ने बूटा सिंह के साथ लौटने से मना कर दिया और कहा कि उनकी बेटी को बूटा सिंह के साथ भारत भेज दिया जाए. 


बूटा सिंह ने दे दी थी अपनी जान...!


खबरों के मुताबिक, बूटा सिंह को इस बात से खूब ठेस पहुंची थी. और पाकिस्तान से बेटी के साथ लौटते वक्त उन्होंने बड़ा कदम उठा लिया. बूटा सिंह बेटी के साथ पाकिस्तान के शाहदरा स्टेशन पर ट्रेन के सामने कूद गए. इस हादसे में बूटा और जैनब की बेटी को तो कुछ नहीं हुआ लेकिन बूटा सिंह की जान चली गई. कहा जाता है कि बूटा सिंह ने अपनी आखिरी चिठ्ठी में लिखा था कि उन्हें जैनब के गांव में दफन किया जाए लेकिन जैनब का परिवार इस पर राजी नहीं हुआ और फिर बाद में बूटा सिंह को लाहौर के मियानी साहिब में दफन किया गया.