Parliament Words: संसद के दोनों सदन सुचारू रूप से चले, इसके लिए कई नियम बनाए गए हैं. लेकिन हर बार नियमों का पालन नहीं होता. खासकर तब जब किसी गंभीर मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच ठन जाती है. इस कारण से संसद के कामकाज में रुकावट आती है. एक तरीका जिसके जरिए सांसद प्रक्रियाओं के ठीक तरह से पालन की मांग कर सकते हैं, वो सिस्टम है व्यवस्था का प्रश्न उठाना, जिसे अंग्रेजी में Point of Order कहा जाता है. अब जानिए इसका मतलब क्या है.


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क्या है पॉइंट ऑफ ऑर्डर




कैसे उठाया जाता है पॉइंट ऑफ ऑर्डर


  • लोकसभा सचिवालय के मुताबिक, पॉइंट ऑफ ऑर्डर उठाने के लिए एक सदस्य को खड़े होकर पॉइंट ऑफ ऑर्डर कहना होता है, जिसके बाद पीठासीन अधिकारी को उसकी पहचान करनी होती है.  पीठासीन अधिकारी की तरफ से पहचान किए जाने के बाद ही वह सदस्य अपनी चिंता व्यक्त कर सकता है. 

  • अपना पॉइंट ऑफ ऑर्डर तैयार करते वक्त सदस्य को सदन की प्रक्रिया से संबंधित संविधान के खास नियम या प्रावधान का हवाला देना चाहिए जिनकी अनदेखी, उपेक्षा या उल्लंघन किया गया हो.

  • हालांकि पॉइंट ऑफ ऑर्डर प्रश्नकाल के दौरान नहीं उठाया जा सकता या फिर सदन कोई प्रस्ताव ले रहा हो. इसके अलावा, किसी सदस्य की तरफ से जानकारी मांगने, या अपनी स्थिति साफ करने आदि के लिए भी पॉइंट ऑफ ऑर्डर का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. 

  • इसके अलावा, अगर किसी काम का निपटारा हो चुका है, तो उसके बाद उसे लेकर पॉइंट ऑफ ऑर्डर उठाया नहीं जा सकता. पॉइंट ऑफ ऑर्डर का मतलब प्रक्रिया से होना चाहिए न कि किसी प्रस्ताव पर ठोस तर्क से. पॉइंट ऑफ ऑर्डर को परेशान करने वाली व्यवस्था भी कहा जाता है.