नई दिल्लीः सावधान! मोबाइल के क्यूआर कोड (QR Code) से भी फ्रॉड हो सकता है. हैकर्स आजकल इस तकनीक के जरिए लोगों के खाते से पैसा उड़ा रहे हैं. ऐसे में क्यूआर कोड का इस्तेमाल बहुत ही सावधानी से करना चाहिए ताकि आपके बैंक खाते से किसी तरह का फ्रॉड न हो पाए. 


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एक क्यूआर कोड क्या है? 
एक QR कोड (क्विक रिस्पांस कोड) में कई काले वर्ग और डॉट्स होते हैं जो कुछ डिजिटल सूचनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं. जब स्मार्टफोन इस कोड को स्कैन करता है, तो यह उस जानकारी डिजिटल भाषा में बदल देता है जिसे आसानी से समझा जा सके. कोरोना काल में लोग इसी का प्रयोग मोबाइल के जरिए पेमेंट करने में कर रहे हैं. इससे सोशल डिस्टेंसिंग का नियम भी पूरा होता है.  


QR कोड फ्रॉड कैसे होता है? 
घोटाले की शुरुआत किसी प्रोडक्ट को ऑनलाइन बिक्री के लिए एक वेबसाइट पर पोस्ट करने के बाद से होती है. जब फ्रॉड खरीदारों के तौर एक क्यूआर कोड को जेनरेट करते है और उसे अग्रिम या टोकन मनी का भुगतान करने के लिए शेयर करते हैं. वे फिर एक उच्च राशि के साथ एक क्यूआर कोड बनाते हैं और इसे व्हाट्सऐप या ईमेल के माध्यम से खरीदने वाले व्यक्ति के साथ शेयर करते हैं. 


क्यूआर कोड को साझा करने के बाद, फ्रॉडस्टर अपने पीड़ितों से ऐप पर "स्कैन क्यूआर कोड" विकल्प का चयन करने या फिर फोटो गैलरी से क्यूआर कोड का चयन करने के लिए कहते हैं. फोटो गैलरी से क्यूआर कोड को स्कैन करने के बाद, पीड़ित को भुगतान के साथ आगे बढ़ने का आग्रह किया जाता है. जैसे ही UPI पिन डाला जाता है, पीड़ित के बैंक खाते से ज्यादा पैसे कट जाते हैं. 


आपको क्या करना चाहिये? 
पुलिस और बैंक अधिकारी समय-समय पर लोगों को अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड नंबर, उनकी एक्सपायरी डेट, पिन, ओटीपी आदि किसी के साथ शेयर न करने की सलाह देते रहे हैं. वे अज्ञात व्यक्तियों द्वारा भेजे गए क्यूआर कोड को स्कैन करने के खिलाफ भी सलाह देते हैं. आप इसकी शिकायत नजदीकी थाने में साइबर अपराध कानून के तहत कर सकते हैं. यह याद रखना चाहिए कि केवल दुकानों पर पेमेंट करने क्यूआर कोड को स्कैन करने की आवश्यकता पड़ती है. किसी भी व्यक्ति से पैसे लेने या फिर भेजने के लिए क्यूआर कोड की जरूरत नहीं पड़ती है. 


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