एलन मस्क की Starlink और जेफ बेजोस की Amazon को भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू करने के लिए कुछ कड़े नियमों का पालन करना होगा. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने इन कंपनियों को डेटा सिक्योरिटी, कवरेज एरिया और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी देने को कहा है. 


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भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू करने के लिए वनवैब और Reliance Jio की पार्टनरशिप वाली SES को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है. लेकिन स्टारलिंक और अमेजन को अभी मंजूरी नहीं मिली है क्योंकि उन्हें सरकार के कुछ शर्तों को मानना होगा.


कंपनियों को लिखा पत्र
अधिकारियों ने इन दोनों कंपनियों को पत्र लिखकर इन शर्तों के बारे में बताया है. एक विश्वसनीय सूत्र ने कहा है कि जब तक ये कंपनियां इन शर्तों को मानने के लिए सहमत नहीं हो जातीं, तब तक उनके आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. कंपनियों ने अभी तक अपना जवाब नहीं दिया है. डिपार्टमेंट उनके जवाब का इंतजार कर रहा है. सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस देने वाली कंपनियों को भारत में सर्विस देने के लिए कई सुरक्षा नियमों और डेटा, कवरेज एरिया आदि से जुड़े नियमों का पालन करना होगा. 


सरकार ने एक शर्त यह भी रखी है कि सैटेलाइट टर्मिनल को तब तक काम करना बंद कर देना चाहिए जब तक कि उसका लोकेशन बदल नहीं जाता. इससे किसी भी तरह के गलत इस्तेमाल को रोका जा सकेगा. स्टारलिंक ने सरकार को यह भी बताया है कि उसके निवेशकों में से कोई भी भारत के पड़ोसी देशों का नहीं है, खासकर चीन और पाकिस्तान का. सरकार ने इस बात को मान लिया है. 


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सरकार इतनी सख्त क्यों है?
सरकार सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस से जुड़े सुरक्षा खतरों को लेकर चिंतित है. दूरसंचार विभागयह सुनिश्चित करना चाहता है कि बॉर्डर के पास लगे सैटेलाइट टर्मिनल्स पर अच्छी तरह नजर रखी जाए और उनका गलत इस्तेमाल न हो. 


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भारत का दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) अभी सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटित करने के लिए कीमतों और अन्य शर्तों पर काम कर रहा है. लेकिन टेलीकॉम ऑपरेटर्स जैसे भारती एयरटेल, रिलायंस जियो और वोडाफोन आइडिया चाहते हैं कि सैटेलाइट कंपनियों पर भी उतने ही नियम लागू हों जितने कि टेलीकॉम ऑपरेटरों पर लागू होते हैं.