Artificial Intelligence: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक तरफ हमारी जिंदगी आसान बना रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ साइबर अपराधियों को भी नया हथियार मिल गया है. अब स्कैमर ऐसे फर्जी मैसेज बनाते हैं जो दखने में बिल्कुल असली जैसे लगत हैं और लोग उन्हें आसानी से सच मान लेते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल इंडियन फाइनेंशियल कंपनियों को करीब 75,000 फर्जी मैसेज भेजे गए थे, जिनमें से 25% लोगों के गलती से क्लिक करने की वजह से हुए थे.


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ग्लोबल साइबरसिक्योरिटी फर्म कैस्परस्काई के मुताबिक ये फर्जी मैसेज ईमेल, वेबसाइट, मैसेजिंग ऐप और सोशल मीडिया पर आते हैं. ये मैसेज इतने असली लगते हैं कि लोग उनमें दिए गए गलत लिंक पर क्लिक कर देते हैं. 


फिशिंग क्या है ?


'फाइनेंशियल फिशिंग' एक तरह की जालसाजी है, जिसमें स्कैमर बैंक, पेमेंट सिस्टम और ऑनलाइन दुकानों से जुड़े फर्जी मैसेज भेजते हैं. इन मैसेज पर क्लिक कर लेते हैं और चोर उनके कंप्यूटर या फोन को कंट्रोल कर लेते हैं.


कैस्परस्काई कंपनी के साउथ एशिया के जनरल मैनेजर जयदीप सिंह का कहना है कि "ये फर्जी मैसेज अक्सर बैंक, पेमेंट कंपनियों या किसी जानी-मानी संस्था से आए हुए नोटिफिकेशन की तरह दिखते हैं. इन मैसेज में लोगों को जल्दबाजी में कोई लिंक क्लिक करने या अपनी जानकारी डालने के लिए कहा जाता है." स्कैमर अक्सर किसी भरोसेमंद व्यक्ति या संस्था का नाम लेकर लोगों को बेवकूफ बनाते हैं और फिर उनकी जरूरी जानकारी चुरा लेते हैं. जयदीप सिंह आगे कहते हैं कि "अपने जाल में फंसाने के लिए ये लोग डर का सहारा लेते हैं. वे कहते हैं कि अगर आपने उनकी बात नहीं मानी तो आपका अकाउंट बंद हो जाएगा."


कर्मचारियों की गलती से होती है साइबर हमला


साइबर सिक्योरिटी कंपनी का कहना है कि उनकी रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में कंपनियों पर होने वाले हर चार में से एक साइबर हमला (24%) कर्मचारियों की गलती से होता है. कर्मचारी जानबूझकर कंपनी के सुरक्षा नियमों को तोड़ते हैं. हालांकि, कंप्यूटर प्रोग्राम कुछ गलतियों को रोक सकते हैं, लेकिन वे पूरी तरह से सुरक्षा की गारंटी नहीं ले सकते. बचाव के लिए कई तरीके अपनाने जरूरी हैं जैसे कर्मचारियों को साइबर सिक्योरिटी की ट्रेनिंग देना, उनके स्किल्स को डेवलप करना और साइबर हमलों को पकड़ने के लिए बेहतर सिस्टम बनाना.