उंगली से चार्ज होने लगेगा आपका Smartphone, पसीने से पैदा होगी बिजली! वैज्ञानिकों ने चार्जर को बना डाला कूड़ा
क्या आप जानते हैं कि अब हम अपनी उंगलियों से भी फोन को चार्ज कर सकते हैं? जी हां, यह सच है... कुछ साल पहले वैज्ञानिकों ने एक ऐसी मशीन बनाई है जो हमारी उंगलियों के पसीने से बिजली बनाती है और फिर उस बिजली से फोन चार्ज होता है.
आजकल हम स्मार्टफोन का इस्तेमाल हर काम के लिए करते हैं. इससे हमारा काम बहुत आसान हो गया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अब हम अपनी उंगलियों से भी फोन को चार्ज कर सकते हैं? जी हां, यह सच है... कुछ साल पहले वैज्ञानिकों ने एक ऐसी मशीन बनाई है जो हमारी उंगलियों के पसीने से बिजली बनाती है और फिर उस बिजली से फोन चार्ज होता है. आइए बताते हैं क्या है यह टेक्नोलॉजी...
पसीने से पैदा होगी बिजली
डेली मेल की खबर के मुताबिक, कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने एक नई चीज बनाई है. यह चीज उंगली में पहनने वाली एक छोटी सी डिवाइस है. जब हम सोते हैं तो हमारी उंगलियों से थोड़ा पसीना निकलता है. यह डिवाइस इस पसीने से बिजली बना लेती है. इस बिजली से हम अपने फोन या घड़ी को चार्ज कर सकते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस डिवाइस को 10 घंटे पहनने से हमारा फोन पूरा दिन चल सकता है.
पहनना होगा इतने हफ्ते
हालांकि, इस मशीन से अभी फोन चार्ज करना इतना आसान नहीं है. इसे उंगली पर एक पट्टी की तरह बांधना होता है. जब हम सोते हैं तो हमारी उंगलियों से थोड़ा पसीना निकलता है. यह मशीन इस पसीने से बिजली बनाती है. लेकिन अभी इसे लगातार तीन हफ्ते तक पहनना होता है, तभी हम इससे अपने फोन को चार्ज कर पाते हैं. वैज्ञानिक इस मशीन को और बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि इसे कम समय में इस्तेमाल किया जा सके.
दिखती है Band Aid की तरह
ये एक छोटी सी चीज है जो बैंड-एड की तरह दिखती है. इसे उंगली पर चिपकाया जाता है. इसमें एक स्पंज जैसी चीज होती है जो हमारे पसीने को सोख लेती है. फिर ये पसीना बिजली में बदल जाता है.
कैसे करेगा काम?
ये एक पतली और लचीली पट्टी है जिसे उंगली पर लपेटा जा सकता है, जैसे हम प्लास्टर लगाते हैं. इस पट्टी के अंदर एक स्पंज जैसा पदार्थ होता है जो हमारे पसीने को सोख लेता है. ये स्पंज इस पसीने को बिजली में बदल देता है. जब हमारी उंगली पसीने से गीली होती है या हम इस पट्टी को दबाते हैं तो ये और ज्यादा बिजली बनाती है. इस पट्टी को बनाने में वैज्ञानिकों ने तीन साल की मेहनत की है और अब जल्द ही इसे बाजार में उपलब्ध कराया जाएगा.