Kedarnath Darshan: केदारनाथ में 2013 में आई आपदा का मंजर कौन भूल सकता है. ऐसी भारी तबाही जिसने जन-जीवन को तहस-नहस करके रख दिया था. धरती से लेकर आसमान तक सब कुछ पानी-पानी हो गया था. इतनी भयंकर आपदा के बाद भी इतने पुराने मंदिर का सही सलामत बचे रहना बहुत बड़ा चमत्कार है. इस बात को देखकर हर कोई हैरान था कि जिस आपदा में ऊंची इमारतें, पहाड़, पेड़ और इंसान सबकुछ बह गया उसमें इस छोटे से मंदिर को कैसे खरोंच तक नहीं आई. 


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चमत्कारी शिला


केदारनाथ के साधुओं के मुताबिक सैलाब के साथ एक विशाल चट्टान नीचे आ रही थी, उसको देखकर लगा था कि अब मंदिर के भीतर के मौजूद 300-400 लोगों का बचना भी मुश्किल है. लेकिन अचानक वह चट्टान मंदिर पर गिरने के बजाय उससे लगभग 50 फीट की दूरी पर गिर कर ही रह गई. अचानक चट्टान का रुकना किसी चमचत्कार जैसा ही था. माना जाता है कि इस चट्टान ने ही मंदिर की रक्षा की. इस चट्टान की वजह से बादलों का पानी दो भागों में बट गया, जिससे मंदिर को नुकसान होने से बच गया. कई बड़े-बड़े चट्टान भी इससे टकराकर पीछे बचे रह गए. 


पांडवों से जुड़ी है शिला? 


केदारनाथ के लोग इस चट्टान को भोलेनाथ का चमत्कार मानते हैं. इस चट्टान की तब से ही पूजा की जा रही है. इस चमत्कारी चट्टान का नाम भीमशिला रखा गया है. स्थानीय लोगों का मानना है कि केदारनाथ मंदिर को पांडवों ने बनवाया था. इस वजह से चट्टान को लोग भीम के गदा से जोड़कर देखने लगे और इसका नाम भीमशिला रख दिया गया. केदारनाथ में भीमशिला की पूजा को 9 साल हो गए हैं. 


केदारनाथ क्यों है खास


हर श्रद्धालु की ख्वाहिश होती है कि जीवन में एक बार केदारनाथ के दर्शन जरूर कर ले. भगवान महादेव के भक्तों के लिए केदारनाथ सबसे खास जगहों में से है. केदारनाथ शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है. केदारनाथ का मंदिर शिव के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है. हिमालय की गोद में बसे इस मंदिर से कई पौराणिक मान्यताएं हैं. 


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