Naraka Chaturdashi 2022: दिवाली और छोटी दिवाली का दिन पूजा-अर्चना का दिन होता है. इस दिन खुशियां मनाई जाती हैं. लोग घरों और मंदिरों में पूजा करते हैं. लेकिन हमारे देश में एक मंदिर ऐसा भी है जहां नरक चतुर्दशी के दिन तांत्रिक विद्या की प्राप्ति के लिए जाते हैं. दरअसल दिवाली के पहले का दिन तांत्रिकों के लिए बड़ा खास माना जाता है. इस दिन तांत्रिक शक्तियां हासिल करने के लिए मंदिर में पूजा की जाती है. आइए जानते हैं कि ये मंदिर कहां है और इसके पीछे का रहस्य क्या है.


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तांत्रिक विद्या का मंदिर


मान्यताओं के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन ओडिशा के बेताल मंदिर में तंत्र विद्या की प्राप्ति के लिए कई लोग जाते हैं. इस दिन मंदिर में केवल अघोरियों के प्रवेश की अनुमति होती है. ओडिशा के बेताल मंदिर में चामुंडा माता की मूर्ति है. माना जाता है कि अघोरी पूजा कर चामुंडा माता को प्रसन्न करते हैं और तांत्रिक शक्तियां प्राप्त करते हैं.


प्राचीन है मंदिर


ये मंदिर 8 वीं सदी का है. बेताल मंदिर ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में है. मंदिर की नक्काशी बेहद खूबसूरत है. इस मंदिर को तिनी मुंडिया भी कहा जाता है. मंदिर के ऊपर तीन मीनारें हैं जिन्हें मां लक्ष्मी, सरस्वती और काली का रूप माना जाता है. आम दिनों मंदिर के दर्शन के लिए श्रद्धालु आते हैं, लेकिन नरक चतुर्दशी के दिन आम लोगों के प्रवेश पर पाबंदी होती है. 


नरक चतुर्दशी की मान्यता


नरक चतुर्दशी का उत्सव बेहद खास होता है. नरक चतुर्दशी दिवाली से एक दिन पहले पड़ती है इसी वजह से इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण और देवी सत्यभामा ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था. इसी वजह से इस दिन को नरक चतुर्दशी के तौर पर मनाया जाता है. नरक चतुर्दशी को यम से जोड़कर भी देखा जाता है. 


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