Travel In India: बुजुर्गों के लिए स्वर्ग हैं भारत की ये जगहें, एक बार जरूर करें यहां की सैर
बढ़ती उम्र के साथ लोग तीर्थ यात्रा (Religious Places) के प्रति बेहद आकर्षित होते हैं. कहा भी जाता है कि उम्र के अंतिम पड़ाव में मोक्ष और पापों से मुक्ति के लिए तीर्थ दर्शन जरूर करने चाहिए. तो आज आपको यहां बता रहे हैं कुछ खास तीर्थ स्थल (Tirtha Yatra), जहां बुजुर्गों को जरूर जाना चाहिए.
श्री सोमनाथ मंदिर
गुजरात के अध्यात्म का सबसे प्रसिद्ध चैप्टर है सोमनाथ मंदिर (Shri Somnath Temple). श्री सोमनाथ मंदिर तीन मुख्य भागों में विभाजित है, जिसमें गर्भगृह, सभा मंडप और नृत्य मंडप शामिल हैं. मंंदिर की ऊंचाई 150 फुट है और इस पर 10 टन का कलश चढ़ा हुआ है. गर्भगृह में सोने का शिवलिंग है. मंदिर पर आक्रमणकारियों ने बार-बार आक्रमण किया लेकिन इसका पुनर्निर्माण होता रहा. मोहम्मद गजनवी की 17 बार की चढ़ाई और आक्रमण के बाद भी मंदिर खड़ा है. मंदिर के एक तरफ विशाल समुद्र तट है और दूसरी तरफ एक छोटा सा बाजार है.
नागेश्वर मंदिर
बुजुर्गों के लिए गुजरात इसलिए खास है क्योंकि यहां एक साथ दो ज्योतिर्लिंग (Jyotirlinga) के दर्शन हो जाते हैं. नागेश्वर मंदिर (Nageshwar Temple) के प्रांगण में भगवान शिव की विशालकाय प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में विराजमान है, जो 125 फुट ऊंची और 25 फुट चौड़ी है. मंदिर के तलघर में नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है. इस पिंड को नागेश्वर महादेव भी कहते हैं. यहां की खासियत है कि यहां चारों ओर शिव मंत्रों का जाप होता रहता है, जिससे यहां के वातावरण में अध्यात्म की खुशबू बनी रहती है. इसकी पवित्रता से मन की सारी अशांति और भय दूर हो जाता है.
द्वारका मंदिर
द्वारका (Dwarka Temple) भारत के सबसे प्राचीन नगरों में से एक है. इस मंदिर की बनावट बेहद व्यवस्थित है. मान्यता है कि द्वारका के मंदिर में स्वयं द्वारकाधीश विराजमान हैं. भगवान श्री कृष्ण ने अपना बचपन और युवावस्था वृंदावन और मथुरा में बिताया है और शेष जीवन उन्होंने द्वारका में बिताया है. यही वजह है कि लोग द्वारका की भूमि को स्पर्श करके ही स्वयं को धन्य मानने लगते हैं. यहां की ऊर्जा इंसानी शरीर के साथ ही उसके मन को भी सुकून देती है.
गुजरात का सूर्यास्त
गुजरात का सूर्यास्त (Sunset Of Gujrat) बेहद खूबसूरत होता है. आप इन तीनों ही मंदिरों से सूर्यास्त देख सकते हैं. इसके पीछे कारण है कि गुजरात एक पश्चिमी राज्य है. दिनभर यहां के मंदिरों को देखने के बाद बुजुर्ग सांझ को मंदिरों के प्रांगण में बैठकर सूर्यास्त देखेंगे तो उनका मन हर्षित हो जाएगा. विशेषकर द्वारका के पीछे स्थित समुद्र तट से सूर्यास्त देखने का अनुभव अकल्पनीय होता है. इसलिए जब भी यहां आएं, यह नजारा मिस न करें.