Why planes dim cabin lights take off landing emergency: आप प्‍लेन में सफर कर रहे हों और अचानक से रात में केबिन की लाइट डिम यानी फ्लाइट के अंदर की रोशनी कम हो जाए, तो ध्यान रखिएगा कि ऐसा होने पर आपको डरने की जरूरत नहीं है. ऐसा क्‍यों होता है? बहुत से लोग इसकी वजह नहीं जानते हैं.


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रोमांच नहीं विज्ञान


टेक ऑफ या लैंडिंग के सामान्य रूटीन की बात करें तो इस दौरान सिटिंग यात्रियों की सिटिंग पोजिशन सही करते हुए सीट बेल्ट बांधी जाती है. विमान में आपकी सुरक्षा के लिए ये बेहद जरूरी कदम होता है. रात में कैबिन की लाइट डिम हो जाती हैं. खासकर रात में प्‍लेन के लैंड और टेकऑफ करने के दौरान होता है. सामान्य भाषा में अपनी बात कहें तो ऐसा यात्रियों की यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए किया जाता है.


पायलट का बड़ा खुलासा


'एक्सप्रेस यूके' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ लोगों का मानना है कि रात में रोशनी को कम करने की वजह, लाइट से होने वाले पॉल्युशन यानी लाइट पॉल्युशन (Light Pollution) को कम करना होता है, हालांकि ये तथ्य सही नहीं है. एक पायलट और 'कॉकपिट कॉन्फिडेंशियल' के लेखक पैट्रिक स्मिथ ने खुलासा किया कि ऐसा होना दरअसल इमरजेंसी जैसे मामलों में बरता जाने वाला एक एहतियात यानी सामान्य प्रकिया होती है. 


पायलट ने ये भी बताया कि रोशनी कम करने से आपकी आंखें अंधेरे में पूर्व-समायोजित हो जाती हैं, ताकि अगर कुछ गड़बड़ होती है या किसी वजह से लाइट चली जाती है तो आप अचानक अंधेरे में नहीं डूबेंगे, यानी आप ऐसा होने पर परेशान नहीं होंगे. 


(केबिन की रोशनी कम करने की वजह वैज्ञानिक है. फोटो: Exprees.co.uk)

इसके पीछे छिपा साइंस


यानी साफ है कि टेकऑफ और लैंडिंग के दौरान हवाई जहाजों के केबिन की रोशनी कम होने का मतलब है कि इससे यात्रियों के लिए इमरजेंसी एग्जिट आसान हो जाता है. माना जाता है कि ज्‍यादातर घटनाएं, टेकऑफ या लैंडिंग के दौरान होती हैं, इसलिए एयरलाइन्‍स में सवार मुसाफिरों के लिए इमरजेंसी एग्जिट को आसान बनाना जरूरी है. केबिन की रोशनी कम करने से यात्रियों को आसानी से इमरजेंसी एग्जिट का साइन दिखाई दे जाता है. यानी रात के समय टेकऑफ और लैंडिंग के दौरान केबिन की रोशनी कम होने से जरूरत पड़ने पर लोगों की जान बचाई जा सकती है.


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