School Girl Helps Labour: दयालुता की कोई कीमत नहीं होती लेकिन सहायता प्राप्त करने वाले व्यक्ति के लिए इसका मतलब सब कुछ होता है. दयालुता के काम दुनिया को सभी के लिए एक बेहतर और खुशहाल जगह बना सकते हैं. आत्मविश्वास और खुशी बढ़ाने के अलावा दयालुता आशावाद भी लाती है. इस प्रकार, बच्चों को छोटी उम्र से ही सहानुभूति सिखाना आवश्यक है ताकि वे दूसरे व्यक्ति की भावनाओं को समझने, महसूस करने और शेयर करने में सक्षम हों. छोटी उम्र से ही ऐसे कौशल और हावभाव विकसित करने से उन्हें जिम्मेदार और बेहतर इंसान बनने में मदद मिलेगी.


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ट्रॉली खींचने वाले मजदूर की लड़कियों ने की मदद


हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया जिसमें दो स्कूली लड़कियां चिलचिलाती गर्मी में ट्रॉली रिक्शा खींच रहे एक आदमी पर दयालु होती दिख रही हैं. अनजान आदमी के प्रति उनकी सहानुभूति निश्चित रूप से दिल जीतने वाली है. वीडियो में दो स्कूली लड़कियों को उस आदमी के साथ चलते देखा जा सकता है, जब वह ट्रॉली रिक्शा खींच रहा है. जहां एक लड़की ने अपना स्कूल बैग अपने दोस्त को सौंप दिया, वहीं दूसरी लड़की को छाता पकड़कर उस आदमी के बगल में चलते देखा जा सकता है. पहली लड़की ट्रॉली रिक्शा के पीछे-पीछे चलती है और उसे धक्का देने लगती है.


 



 


वीडियो देखकर लोगों ने दी कुछ ऐसी प्रतिक्रियाएं


हालांकि, वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं की जा सकी है, लेकिन ऐसा लगता है कि यह पुराना वीडियो है और सोशल मीडिया पर फिर से वायरल हो गया है. BemisalaP17076 द्वारा ट्विटर पर शेयर किए गए इस वीडियो ने यूजर्स का दिल जीतते हुए बड़े पैमाने पर व्यूज बटोरे हैं. कमेंट बॉक्स प्रशंसा और लाल दिल वाले इमोटिकॉन से भरा हुआ है. वीडियो पर एक यूजर ने कहा, "शिक्षा कहीं से भी प्राप्त कर सकते है लेकिन संस्कार हमेशा घर से मिलते हैं!" एक अन्य यूजर ने कहा, "हृदय स्पर्शी प्रेरणास्पद वीडियो! वाकई, 'संस्कार' संस्कृति की देन होते हैं."