नई दिल्लीः वित्त मंत्री अरुण जेटली के अंतिम पूर्ण बजट में की गई घोषणाओं को लेकर तमाम अखबारों में विशेषज्ञों ने अपनी-अपनी राय व्यक्त की है. हम आपके सामने ऐसे ही चुनिंदा विशेषज्ञों की बजट के बारे में व्यक्त राय रख रहे हैं, जिससे कि आप बजट की जटिलताओं और लोकलुभावनी घोषणाओं के पीछे छिपी वास्तविकता को समझ सकें. मोदी सरकार ने इस बजट में कई क्रांतिकारी घोषणाएं की है. करीब 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा के दायरे में लाने और किसानों को उपज लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देना बजट की सबसे बड़ी घोषणाएं हैं, लेकिन इनके इतर भी बजट दस्तावेज में कई ऐसी चीजें हैं जो आम आदमी से लेकर खास लोगों की जिंदगी पर भारी असर डालने वाले हैं. आइए एक नजर डालते हैं विशेषज्ञों की टिप्पणी पर...


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किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में उठाया गया कदम 
आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने मिंट अखबार में अपनी टिप्पणी में कहा कि कृषि और स्वास्थ्य इस बजट के सबसे अहम क्षेत्र हैं. किसानों को लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देना और स्वास्थ्य बीमा की घोषणा क्रांतिकारी कदम है. इसके अलावा कृषि बाजारों के विकास के लिए कई कदम उठाने की घोषणा है. इससे किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है. इससे कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. 


समर्थन मूल्य बढ़ाने से ही नहीं सुधरेगी स्थिति
आदित्य बिड़ला समूह के मुख्य अर्थशास्त्री अजित रनाडे ने टाइम्स ऑफ इंडिया में लिखा है कि सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा करती रही है लेकिन इसके लिए कृषि उत्पादन और उत्पादों में भी अच्छी-खासी बढ़ोतरी की जरूरत है. केवल समर्थन मूल्य बढ़ाने से बहुत अधिक लाभ नहीं होने वाला. समर्थन मूल्य में बड़ी बढ़ोतरी की घोषणा एक बड़ा राजनीतिक संकेत है. बजट दस्तावेज को देखने से पता चलता है कि खाद्यान्न सब्सिडी के लिए धन में केवल 21 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जबकि पिछले बजट में यह वृद्धि 27 फीसदी की थी. न्यूनतम समर्थन मूल्य एक तरह का आश्वासन है. इसका फायदा केवल तभी मिलता है जब किसी कमोडिटी के बाजार भाव में भारी गिरावट हो. आज जरूरत कृषि सेक्टर को विभिन्न स्तरों पर मौजूद प्रतिबंधों से मुक्त करने की है. इससे उत्पादकों और उपभोक्ता के बीच सीधा संपर्क टूटता है. बजट में निश्चित रूप से कृषि सेक्टर के लिए कई घोषणाएं की गई हैं. हालांकि इनका असर दिखना अभी बाकी है.


पूरी अर्थव्यवस्था के लिए बेहतरीन बजट
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने एक अखबार से कहा है कि वह इसे पूरी अर्थव्यवस्था के लिए बेहतरीन बजट मानता हूं. इससे कृषि क्षेत्र में नई शुरुआत होगी. किसानों को उत्पादन लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देना बड़ा फैसला है. इससे अर्थव्यवस्था में नई जान आएगी. किसानों और ग्रामीणों की आय बढ़ने से बाजार में वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ेगी जिससे अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी. इसके अलावा स्वास्थ्य बीमा की घोषणा एक क्रांतिकारी कदम है. 


नई नौकरियां पैदा करने वाला बजट
जानेमाने अर्थशास्त्री स्वामीनाथन अलंकेशयर अय्यर ने इकनॉमिक टाइम्स में लिखा है कि मोदी सरकार के अंतिम पूर्ण बजट में जॉब, लेबर रिफॉर्म और हेल्थ सेक्टर को प्राथमिकता दी गई है, जो बिल्कुल लोकलुभावन नहीं है. बजट में नई नौकरियों के अवसर पैदा करने के लिए कई तरह के कदम उठाए गए हैं. 250 करोड़ सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों के कॉरपोरेट टैक्स को 30 से 25 प्रतिशत करना, सभी सेक्टर में कॉन्ट्रैक्ट लेबर को मंजूरी देना इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं. देश की 40 प्रतिशत आबादी के लिए हेल्थ इंश्योरेस का ऐलान दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थकेयर स्कीम है. हालांकि एकबार फिर बजट राजकोषिय घाटे को कम करने में नाकाम रहा है. वहीं लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन से होने वाली कमाई पर 10 प्रतिशत टैक्स लगाया गया है. पिछले बजट के दौरान अरुण जेटली ने राजकोषीय घाटा 3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था लेकिन बाद में इसमें बदलाव कर इसे 3.5 प्रतिशत कर दिया गया था.


फायदा पहुंचने में समय लगेगा
इकोनॉमिक टाइम्‍स में प्रकाशित डिलॉइट इंडिया के सीईओ एन वेंकटराम के अनुसार चुनाव पूर्व वर्ष में वित्‍त मंत्री ने भारत-केंद्रित बजट की घोषणा की है. बिज़नेस की प्रक्रिया को आसान बनाने की बजाय उनका ज्‍यादा जोर आम लोगों के जीवन को आसान बनाना है. इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर, कषि, हेल्‍थकेयर, एजुकेशन, नौकरियां और छोटे तथा मध्‍यम दर्जे के उपक्रमों के लिए कई घोषणाएं की गई हैं जिसकी पहले से उम्‍मीद की जा रही थी. बजट घोषणाओं से माहौल बेहतर होगा, हालांकि खेती और ग्रामीण क्षेत्रों में आमदनी बढ़ने से छोटे किसानों को राहत मिलने में अभी थोड़ा समय लगेगा. साथ में यह उम्‍मीद भी है कि इन उपायों से महंगाई नहीं बढ़ेगी.


अब तक का सबसे बोल्ड बजट
मारुति सुजुकी के चेयरमैन आरसी भार्गव के फाइनेंशियल एक्सप्रेस में लिखा है कि यह अब तक का सबसे बोल्ड बजट है. जैसा कि चुनाव से पहले लोकलुभावन बजट की उम्मीद की जा रही थी यह उस तरह का बजट नहीं है. बजट समाज में एकरुपता लाने की दिशा में उठाया गया कदम है. लेकिन इसे लागू करना सबसे बड़ी चुनौती है. नई योजनाओं को लागू करने में राज्य सरकारों का योगदान महत्वपूर्ण है. गरीबों की सेहत सुधारने के लिए उठाया गया सराहनीय है, लेकिन इसे लागू करना  सबसे बड़ा चैलेंज है. इसका समाधान खोजना होगा.