Bhajan Lal Sharma Journey: 12 दिसंबर शाम करीब पांच बजे एक बार फिर बीजेपी ने सीएम के लिए चौंकाने वाले नाम का ऐलान किया. सिर पर साफा बांधे वो शख्स जो रक्षा मंत्री और पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह के बाईं तरफ बैठे थे वो भजन लाल शर्मा थे. भजन लाल शर्मा पहली बार विधायक बने और राज्य की सर्वोच्च गद्दी को हासिल करने में कामयाब हुए. उनके नाम के ऐलान के बाद कार्यकर्ताओं ने एक बड़ी बात कही कि यह सब बीजेपी में भी संभव है. भजन लाल शर्मा के सीएम बनने का मतलब यह है कि कोई भी कार्यकर्ता जो अथक परिश्रम कर रहा हो वो बड़ा से बड़ा पद पा सकता है.


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पहले मुनीमी किए थे भजन लाल

भजन लाल शर्मा के बारे में तो हम सब जानते हैं कि वो संगठन से जुड़े रहे हैं. राजनीति की सड़क पर एक एक पड़ाव पार करते हुए भाजयुमो में कमान संभाली. लेकिन उनसे जुड़ी एक खास बात को शायद आप नहीं जानते होंगे.वो भरतपुर जिले में एक ठेकेदार आर पी शर्मा के यहां मुनीम का काम करते थे और करीब 8 हजार रुपए पगार मिलती थी. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आर पी शर्मा हाइवे का ठेका लेते थे और भजन लाल शर्मा उनके वित्तीय मामलों को देखा करते थे. हालांकि बाद में उन्होंने मुनीमी के काम को छोड़ दिया और वन विभाग में पत्थर खुदाई का काम देखने लगे. उनकी किस्मत तब पलटी जब वो वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री रहीं किरण माहेश्वरी के संपर्क में आए. उनके संपर्क में आने के बाद वो सियासी सड़क पर सरपट भागने लगे.


एक बूथ 10 यूथ के सुझाव से आए चर्चा में

भजन लाल शर्मा, भरतपुर जिले के भाजयुमो के अध्यक्ष बने और आगे चलकर राजस्थान प्रदेश बीजेपी में अलग अलग पदों पर काम किया. उन पर पार्टी के बड़े नेताओं की नजर तब पड़ी जब दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में पार्टी के एक कार्यक्रम में एक बूथ 10 यूथ का सुझाव दिया. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को उनकी योजना कारगर लगी और बीजेपी ने उसे जमीन पर उतारा जिसका फायदा भी मिला. बताया जाता है कि सांगठनिक कौशल की वजह से बीजेपी ने उन्हें राजस्थान की सबसे सुरक्षित सीट सांगानेर से उतारने का फैसला किया. यह वो सीट है जिस पर 2003 से बीजेपी का कब्जा बरकरार रहा है. भजन लाल शर्मा को टिकट देने के लिए पार्टी ने मौजूदा विधायक का टिकट भी काट दिया था.