JDU Candidate list: मध्य प्रदेश समेत 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों की गहमागहमी अब बढ़ रही है. लेकिन इस चुनाव में विपक्षी एकता लिटमस टेस्ट में फेल नजर आ रही है. इसकी एक और बानगी देखने को मिली है जब नीतीश कुमार ने भी इन चुनावों के लिए अपने पांच उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. जनता दल यूनाइटेड ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पांच सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है. ये वे सीटें हैं जहां पर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार पहले से ही घोषित कर दिए हैं. जेडीयू के इस ऐलान के साथ ही राजनीतिक विश्लेषक भौचक्के रह गए कि आखिर नीतीश कुमार का ये कौन सा दांव है कि वे कांग्रेस के पांच विकट गिराने के मूड में हैं. ये सवाल इसलिए भी है क्योंकि वे एक समय विपक्षी एकता के सूत्रधार थे और बीजेपी के खिलाफ सभी पार्टियों को एकजुट कर रहे थे. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में ऐसा दूसरा वाकया देखने को मिल रहा है जब इंडिया गठबंधन का धर्म खतरे में दिख रहा है. 


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कांग्रेस के सामने चुनाव में उतरना साफ संकेत?
दरअसल, जेडीयू ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में पिछौर, राजनगर, विजय राघवगढ़, थांदला और पेटलावद विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं. इन सीटों पर कांग्रेस पहले ही अपने प्रत्याशी उतार चुकी है. हालांकि यह चर्चा है कि कांग्रेस कुछ सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों में फेरबदल कर सकती है लेकिन इसके बावजूद भी जेडीयू की तरफ से इन पांच सीटों पर चुनाव में उतरना साफ संकेत है कि इंडिया गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है. अखिलेश यादव की जाहिर तौर पर नाराजगी के बाद अब नीतीश ने भी गियर बदल लिए हैं. नीतीश कुमार की राजनीतिक चाल वैसे भी कम ही लोगों को समझ में आती है लेकिन शुरुआत में इंडिया गठबंधन के नायक के तौर पर उभरने वाले नीतीश के इस दांव से कांग्रेस जरूर नाखुश नजर आएगी.


क्या हैं इसके सियासी मायने
बताया जा रहा है कि जेडीयू इसके अलावा और भी प्रत्याशियों को एमपी चुनाव में उतार सकती है. अगर ऐसा हुआ तो इंडिया गठबंधन के लिए विधानसभा चुनावों का दौर काफी मुश्किल होगा. क्योंकि अखिलेश यादव पहले ही नाराजगी जता चुके हैं और उन्हें भी कांग्रेस के सामने प्रत्याशी उतारने पड़े. हालांकि दोनों का पैटर्न अलग रहा क्योंकि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने साफ कहा कि कांग्रेस ने उन्हें धोखा दिया और उन्होंने इंतजार किया लेकिन कांग्रेस ने उन सीटों पर प्रत्याशी उतारे जहां सपा या तो जीती थी या मजबूत थी. लेकिन नीतीश कुमार ने तो गजब कर दिया. नीतीश की पार्टी जेडीयू का जनाधार मध्य प्रदेश में उतना नहीं है जितना सपा का है. इसके बाद भी प्रत्याशी उतार दिए गए. इससे दो चीजें साफ हो रही हैं कि या तो इंडिया गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनावों के लिए बना है या फिर अब सपा और जेडीयू जैसी पार्टियां सिर्फ खानापूर्ति के लिए विपक्षी एकता के साथ दिखती नजर आई हैं.


इंडिया गठबंधन के भविष्य पर सवाल!
इसी एमपी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 230 सीटों में से 228 पर प्रत्याशी उतारे हैं. यदि उसे इंडिया गठबंधन के अन्य दलों को साथ लेकर चलना होता तो समाजवादी पार्टी को भी साथ लेकर चलती लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. और अब तो नीतीश कुमार भी उसी रास्ते पर हैं. ये वही नीतीश कुमार हैं जिन्होंने बीजेपी और मोदी के विरोध के लिए देश भर के विपक्षी नेताओं को एकजुट करने का जिम्मा उठाया था और सबसे मुलाक़ात भी की थी लेकिन इंडिया गठबंधन की दूसरी बैठक का समय आते-आते उनका जोश ठंडा पड़ता गया और आरोप लगा कि कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन को हाईजैक कर लिया. फिलहाल अब विपक्षी पार्टियों का अगला मूव क्या होगा यह तो वही जानें लेकिन यह तय है कि इन विधानसभा चुनावों में इंडिया गठबंधन देश की जनता को जो मैसेज दे सकता था, वह देता नहीं दिख रहा है.