पाकिस्तान में बिना मार्शल लॉ चल रहा फौज का शासन? मिलिट्री कोर्ट के 25 फैसलों से भड़के अमेरिका और ब्रिटेन
Pakistan News: पाकिस्तान की सैन्य अदालतों की ओर से 25 नागरिकों को सजा सुनाए जाने की लगातार आलोचना हो रही है. दोषी करार दिए गए लोगों पर 2023 में विरोध प्रदर्शनों के दौरान सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमलों में शामिल होने का आरोप था. ये सभी विरोध प्रदर्शन पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के खिलाफ हुए थे.
Pakistan military court: भारत के बंटवारे से बने पाकिस्तान के अधिकांश हिस्से वहां के नेताओं की नाकामी के चलते जहन्नुम जैसे बन चुके हैं. आधा समय जनता की चुनी कथित लोकतांत्रिक सरकार और करीब उतना ही समय डायरेक्ट मिलिट्री रूल से चल चुका पाकिस्तान, एक बार फिर उसी राह पर आगे बढ़ता दिख रहा है. वहां लोकतंत्र को फौजू जनरलों के बूटों तले कुचलने जैसी अटकलें लगाई जा रही हैं. बीते कुछ समय से चल रहे हालात, फौजी शासन लगने के संकेत दे रहे हैं. यह कोई सामान्य बात नहीं बल्कि इतना गंभीर मामला है कि ऐसी अटकलों की आहटों से अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) और यूरोपीयन यूनियन (EU) सहम चुके हैं. क्या है पूरा मामला आइए समझाते हैं.
क्यों भड़का अमेरिका और ब्रिटेन
हाल ही में पाकिस्तान की सैन्य अदालतों की ओर से 25 नागरिकों को सजा सुनाए जाने की आलोचना की. दोषी करार दिए गए लोगों पर 2023 में विरोध प्रदर्शनों के दौरान सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमलों में शामिल होने का आरोप था. वो सभी विरोध प्रदर्शन पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के खिलाफ किए गए थे.
सैन्य अदालतों में क्यों हो रहे फैसले?
पाकिस्तानी सैन्य न्यायाधिकरण ने नागरिकों को दो से दस साल तक की सजा सुनाई है. इस फैसले से पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के संस्थापक इमरान खान के समर्थकों में यह चिंता बढ़ गई है कि पूर्व नेता से जुड़े मामलों को भी सैन्य अदालतों को सौंपा जा सकता है. पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संयुक्त राज्य अमेरिका ने 25 नागरिकों को दोषी ठहराए जाने पर 'गहरी चिंता' व्यक्त की और दावा किया कि सैन्य अदालतों में न्यायिक स्वतंत्रता, पारदर्शिता और उचित प्रक्रिया की गारंटी का अभाव है.
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मंगलवार को जारी एक संक्षिप्त बयान में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि वाशिंगटन पाकिस्तानी अधिकारियों से देश के संविधान में निहित निष्पक्ष सुनवाई और उचित प्रक्रिया के अधिकार का 'सम्मान' करने की अपील करता रहेगा. ब्रिटेन ने पाकिस्तान सरकार से नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध (ICCPR) के तहत अपनी जिम्मेदारी को बनाए रखने की अपील की.
विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय के प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा, 'सैन्य अदालतों में पारदर्शिता और स्वतंत्र जांच का अभाव है और वे निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार को कमजोर करती हैं.'
हालांकि, प्रवक्ता ने कहा कि ब्रिटेन अपनी कानूनी कार्यवाहियों में पाकिस्तान की संप्रभुता का सम्मान करता है. यूरोपीय संघ ने अपनी प्रतिक्रिया में इन फैसलों को पाकिस्तान की ओर से आईसीसीपीआर के तहत किए गए दायित्वों के साथ असंगत माना. (इनपुट: आईएएनएस)