Parth Pawar: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) पर कब्जे को लेकर लड़ाई तेज हो गई है. अजित पवार ने पार्टी के नाम-निशान को लेकर दावा ठोक रखा है और शरद पवार विरोध कर रहे हैं. इस मामले में सोमवार को चुनाव आयोग में दोनों पक्षों ने अपना-अपना पक्ष रखा. अजित पवार गुट की ओर से उनके बेटे पार्थ पवार चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंचे और उसकी सुनवाई में शामिल हुए. पार्थ अजित पवार पिछले कुछ दिनों में सबका ध्यान खींच रहे हैं.


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2019 में लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं पार्थ
मीडिया रिपोट्स के मुताबिक महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में ऐसी अटकलें लग रही हैं कि 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले उनकी प्रमुखता बढ़ जाएगी और वह चुनाव लड़ भी सकते हैं. हालांकि पार्थ का चुनावी राजनीति में प्रवेश 2019 के लोकसभा चुनाव में हुआ था जो कि सफल नहीं रहा था. वह मावल निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव हार गए थे.


इस मामले में सुर्खियों में आए थे पार्थ
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पार्थ पवार तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने तत्कालीन महा विकास अघाड़ी सरकार के रुख के विपरीत, तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख को पत्र लिखकर सुशांत सिंह राजपूत की मौत की सीबीआई जांच का अनुरोध किया.


शरद पवार गुट ने अजित खेमे पर लगाया बड़ा आरोप
पीटीआई-भाषा के मुताबिक एनसीपी के शरद पवार गुट ने सोमवार को चुनाव आयोग से अजित पवार खेमे के खिलाफ दंडनीय कार्रवाई करने का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया कि इसने आयोग के समक्ष फर्जी हलफनामा दाखिल किया है.


इस साल जुलाई में महाराष्ट्र सरकार में शामिल होने के लिए अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत करने वाले अजित पवार ने इसके दो दिन पहले 30 जून को चुनाव आयोग का रुख कर पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर अपना दावा पेश किया था. उन्होंने बाद में, 40 विधायकों के समर्थन के साथ खुद को पार्टी का अध्यक्ष घोषित किया था.


पीटीआई-भाषा के मुताबिक चुनाव आयोग के समक्ष सोमवार को चौथी व्यक्तिगत सुनवाई के बाद, शरद पवार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने मीडिया से कहा कि अजित पवार खेमे द्वारा दाखिल फर्जी हलफनामे को फर्जीवाड़े की 24 श्रेणियों में श्रेणीबद्ध किया जा सकता है. पार्टी के संस्थापक शरद पवार उस वक्त मौजूद थे जब सिंघवी मीडिया से बात कर रहे थे. सुनवाई शुक्रवार को जारी रहेगी.


(Photo courtesy: FB/Parth Ajit Pawar)