Russia-Ukraine Genocide Case: संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च अदालत आज फैसला सुनाएगी कि यूक्रेन द्वारा के रूस खिलाफ दायर मामला उसके अधिकार क्षेत्र में आता है या नहीं. यूक्रेन ने आरोप लगाया है कि रूस ने 2022 में नरंसहार के झूठे आरोप लगा कर उस आक्रमण किया जो कि 1948 के नरसंहार कंवेंशन का उल्लंघन है. 


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बता दें यूक्रेन ने फरवरी 2022 में पूर्ण पैमाने पर युद्ध शुरू होने के कुछ दिनों बाद अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय का रुख किया था. कीव ने  आरोप लगाया गया कि रूस ने एक झूठा दावा किया कि यूक्रेन रूसी भाषी लोगों के खिलाफ नरसंहार कर रहा है. ऐसा करके मॉस्को ने 1948 के नरसंहार कंवेंशन का उल्लंघन किया है.


मॉस्को ने अदालत के अधिकार क्षेत्र पर आपत्ति दर्ज की. 2023 में सुनवाई के दौरान, रूस के वकीलों ने कानूनी मामले को 'प्रक्रिया का दुरुपयोग' बताते हुए अदालत से शिकायत को खारिज करने के लिए कहा. 


यूक्रेन का कहना है कि पूर्वी यूक्रेन में नरसंहार का कोई खतरा नहीं है, जहां वह 2014 से रूसी समर्थित बलों से लड़ रहा है।


एपी के मुताबिक यूक्रेन ने यह दावा नहीं किया है कि रूस नरसंहार कर रहा है, बल्कि यह तर्क दे रहा है कि नरसंहार का झूठा आरोप 1948 की संधि का उल्लंघन करने के लिए पर्याप्त है. कीव ने जजों से कहा कि पड़ोसी देशों के बीच स्पष्ट रूप से विवाद है जो कि कंवेंशन में दी गई परिभाषा के अनुरूप है.


आईसीजे ने बुधवार को सुनाया है अहम फैसला
संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत ने यूक्रेन रूस के बीच एक और मामले में बुधवार को फैसला सुनाया है.  अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) जजों ने बुधवार को पाया कि रूस ने यूएन की आतंकवाद विरोधी संधि का उल्लंघन किया है. हालांकि अदालत ने कीव द्वारा लगाए गए उन आरोपों पर फैसला देने से इनकार कर दिया जिनमें कहा गया था कि मॉस्को 2014 में पूर्वी यूक्रेन के ऊपर मलेशिया एयरलाइंस की उड़ान MH17 की शूटिंग के लिए जिम्मेदार था.


रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक फैसले में, आईसीजे जजों ने पाया कि रूस ने 2014 में प्रायद्वीप पर कब्जे के बाद क्रीमिया में यूक्रेनी भाषा की शिक्षा को सपोर्ट करने में नाकाम होकर भेदभाव-विरोधी संधि का उल्लंघन किया था.


फैसला कीव के लिए झटका
आईसीजे का यह फैसला कीव के लिए एक कानूनी झटका था. अदालत ने दोनों उल्लंघनों के लिए मुआवजे का आदेश देने के यूक्रेन के अनुरोध को खारिज कर दिया और केवल रूस को संधियों का पालन करने का आदेश दिया.


हालांकि यूक्रेन के प्रतिनिधि एंटोन कोरिनेविच ने जोर देकर कहा कि यह फैसला कीव के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे साबित होता है कि रूस ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है. फैसले के बाद उन्होंने कहा, 'यह पहली बार है कि आधिकारिक तौर पर, कानूनी तौर पर रूस को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघनकर्ता कहा गया है.'