Americe Air Strike: अमेरिका ने ईरान को सबक सिखाने की ठान ली है. जॉर्डन बेस पर ड्रोन हमले में तीन अमेरिकी सैनिकों के मारे जाने के बाद अमेरिका ने जवाबी कार्रवाई का ऐलान किया था. अब इराक से सीरिया तक अमेरिका ने ईरानी सेना को निशाना बनाया है. ईरानी सेना के साथ-साथ तेहरान से जुड़े मिलिशिया को निशाना बनाकर अमेरिका ने घातक B1 बॉम्बर से एयर स्ट्राइक की सीरीज सी चला दी. शुक्रवार को ईरानी सेना पर कार्रवाई के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपना और देश का रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि ये प्रतिक्रिया हमारे पसंद के समय और लक्ष्यों पर जारी रहेगी.


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..हम जवाब देते रहेंगे


जो बाइडेन ने कहा की अमेरिका मध्य पूर्व या दुनिया में कहीं भी संघर्ष नहीं चाहता है. लेकिन हमें नुकसान पहुंचाने वाले को हम जवाब देते रहेंगे. यूएस सेंट्रल कमांड (CENTCOM) ने बताया कि अमेरिका के लंबी दूरी के B1 बॉम्बर से 85 से अधिक साइटों को निशाना बनाया. लगभग 30 मिनट तक चलने वाले अमेरिका के इस ऑपरेशन में B1 बॉम्बर्स को लंबी यात्रा करनी पड़ी.


B1 बॉम्बर ने मचाई तबाही


ऑपरेशन में टेक्सास के डाइस एयर फोर्स बेस पर तैनात दो B1 बॉम्बर शामिल थे. इन दोनों ही विमानों ने अटलांटिक महासागर, भूमध्य सागर और अरब प्रायद्वीप से होकर नॉन-स्टॉप मिशन को अंजाम दिया. B1 बॉम्बर ने 85 लक्ष्यों पर 125 से अधिक मिसाइलें लॉन्च कीं. अमेरिका ने अपने ऑपरेशन की कामयाबी में B1 बॉम्बर का सबसे बड़ा योगदान बताया है. आइये आपको बताते हैं B1 बॉम्बर की कौन सी विशेषताएं हैं, जो इसे बेहद घातक बनाती है.


बेहद घातक है B1 बॉम्बर


B1 बॉम्बर में चार जवान तैनात होते हैं. पायलट, को-पायलट और इसके साथ दो अधिकारी तैनात होते हैं. अधिकारियों की बात करें तो एक आक्रमण के लिए और एक बचाव के लिए होता है. B1 बॉम्बर, कम ऊंचाई पर लगभग 900 मील प्रति घंटा और अधिक ऊंचाई पर लगभग 950 मील प्रति घंटे की स्पीड से उड़ सकते हैं.


बिना रुके 7500 मील की उड़ाना


B1 बॉम्बर बिना रुके 7,500 मील (12,000 किलोमीटर) तक की दूरी तय कर सकता है. बीच हवा में इसमें फ्यूल रीफिल भी किया जा सकता है. B1 बॉम्बर पारंपरिक बम, क्रूज मिसाइल और परमाणु हथियार सहित 75,000 पाउंड (34,000 किलोग्राम) तक हथियार ले जाने में सक्षम है.


परमाणु हथियार पहुंचाने में सक्षम


B1 बॉम्बर ने पहली बार 1970 के दशक में पुराने B-52 की जगह ली थी. B-52 बॉम्बर को 1950 के दशक में डिजाइन किया गया था. B1 बॉम्बर का लक्ष्य कम ऊंचाई और तेज गति से सोवियत हवाई क्षेत्र में प्रवेश करना और परमाणु युद्ध की स्थिति में परमाणु हथियार पहुंचाना था.


अमेरिका कई ऑपरेशन में कर चुका है इस्तेमाल


B1 बॉम्बर को नई तकनीक और क्षमताओं, जैसे स्टील्थ फीचर्स, वेरिएबल-स्वीप विंग्स और एडवांस एवियोनिक्स के साथ फिर से डिजाइन किया गया था. पहला B1 बॉम्बर 1985 में अमेरिकी एयर फोर्स को सौंपा गया. तब से B1 बॉम्बर कई सैन्य अभियानों में अमेरिका को बढ़त दिला चुका है. 1991 में ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म, 1999 में ऑपरेशन एलाइड फोर्स, 2001 में ऑपरेशन एंड्योरिंग फ्रीडम, 2003 में ऑपरेशन इराकी फ्रीडम, 2011 में ऑपरेशन ओडिसी डॉन, और 2014 में ऑपरेशन इनहेरेंट रिजोल्यूशन में B1 बॉम्बर का इस्तेमाल हुआ.