वो 8 मिनट जिसने US को किया शर्मसार; लोग देखते रहे, चलती ट्रेन में होता रहा रेप
जो देश खुद को दुनिया की सुपर पॉवर बताते हैं, खुद को महिलाओं के प्रति उदार और चैम्पियन बताते हैं, वो असल में चैम्पियन नहीं हैं. वहां भी कमियां हैं और वहां भी ऐसे लोग हैं जो ऐसी भयानक घटनाओं पर कायर बने रहते हैं.
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पश्चिमी देशों की छवि और असलियत में अंतर
हैरानी की बात ये है कि अगर इनमें से एक भी व्यक्ति हेल्प लाइन नंबर 911 पर डायल कर देता तो इस महिला के साथ ये घटना होती ही नहीं. यानी इन लोगों को अपने मोबाइल फोन से सिर्फ 3 नम्बर डायल करने थे लेकिन किसी ने भी ऐसा नहीं किया. बल्कि कुछ लोग तो अपने मोबाइल फोन से पीड़ित की तस्वीरें और वीडियो बना रहे थे. भारत में जब महिलाओं के साथ कोई अपराध होता है तो अक्सर लोग कहते हैं कि अमेरिका को देखो, या ब्रिटेन को देखो. आप ऐसा इसलिए कहते हैं क्योंकि आपको लगता है कि पश्चिमी देशों में महिलाओं के पास ज्यादा अधिकार हैं, उनके खिलाफ अपराध नहीं होते और वो पूरी तरह आजाद हैं, जबकि ऐसा नहीं है.
स्वीडन की अमेरिका से भी हालत खराब
अमेरिका की कुल आबादी लगभग 33 करोड़ है, लेकिन वर्ष 2019 में वहां बलात्कार की 1 लाख 43 हजार घटनाएं हुई थीं. यानी प्रति एक लाख लोगों पर लगभग 43 रेप की घटनाएं दर्ज हुईं. एक और पश्चिमी देश है स्वीडन, जो ये कहता है कि वो दुनिया का इकलौता ऐसा देश है, जिसने पुरुषों और महिलाओं के बीच भेदभाव को पूरी तरह खत्म कर दिया है लेकिन सच्चाई ये है कि स्वीडन में अमेरिका से भी ज्यादा प्रति एक लाख लोगों पर बलात्कार के 85 मामले दर्ज होते हैं. जबकि 135 करोड़ की आबादी वाले भारत में वर्ष 2019 में बलात्कार की 32 हजार घटनाएं हुई थीं, यानी प्रति एक लाख लोगों पर रेप के लगभग 2 मामले दर्ज हुए थे.