Monkeypox treatment: अमेरिका और यूरोप समेत दुनिया के कई देशों में मंकीपॉक्स वायरस तेजी से फैल रहा है. इस बीच एक राहत भरी खबर आई है जिसके मुताबिक इस खतरनाक बीमारी का इलाज खोज लिया गया है. लैंसेट की स्टडी में यह बात सामने आई है कि एंटीवायरल दवाओं से इस बीमारी में राहत मिल सकती है.


लैंसेट की रिसर्च में हुआ खुलासा


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जर्नल लैंसेट में छपी एक रिपोर्ट की मानें तो एंटीवायरल दवाएं मंकीपॉक्स बीमारी से जल्दी उबरने में कारगर साबित हो सकती हैं. ये दवाएं लक्षणों को कम कर सकती हैं और मरीज को बीमारी से जल्दी ठीक करने में मदद कर सकती हैं. ब्रिटेन के लिवरपूल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट में ये स्टडी की गई है.  


ये स्टडी ब्रिटेन में हुए एक शोध के आधार पर की गई है. यूनाइटेड किंगडम में 2018 से 2021 के बीच मंकीपॉक्स के 7 मरीजों पर ये शोध किया गया था. इन 7 मरीजों में से 3 पश्चिम अफ्रीका से आए थे और बाकी चार में इंफेक्शन एक से दूसरे में फैला था.  


मरीजों पर इस्तेमाल हुईं 2 दवाएं


इन मरीजों पर दो दवाएं इस्तेमाल की गई थीं. ये दवाएं हैं-  Brincidofovir और Tecovirimat. पहली दवा के इस्तेमाल से मरीजों को खास फायदा नहीं हुआ था. ये दवा तीन मरीजों पर इस्तेमाल की गई थी. इन मरीजों के लिवर एंजाइम्स का लेवल भी दवा के बाद थोड़ा खराब हुआ था. हालांकि सभी मरीज कुछ समय के बाद रिकवर हो गए थे. 2021 में यूनाइटेड किंगडम के एक मरीज में दूसरी दवा Tecovirimat इस्तेमाल की गई थी, इस मरीज की रिकवरी जल्दी हुई और दूसरे व्यक्ति को संक्रमित करने का खतरा भी कम हुआ.  


रिसर्च में सामने आई ये बात


रिसर्चर्स ने पाया है कि मंकीपॉक्स वायरस खून में भी पाया गया और सलाइवा में भी. हालांकि स्टडी में दावा किया गया कि इससे पहले मंकीपॉक्स इतने बड़े स्तर पर कभी नहीं फैला है. लेकिन अभी भी इसके बहुत बड़े स्तर पर फैलने का खतरा कम ही है. इसके अलावा कम लोगों पर स्टडी होने की वजह से शोधकर्ताओं ने किसी भी एंटीवायरल दवा को इस्तेमाल करने में सावधानी बरतने की सलाह दी है.  


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रिसर्च के प्रमुख लेखक एडलर ने कहा, ‘महामारी के इस नए प्रकोप ने ब्रिटेन में पहले की तुलना में ज्यादा मरीजों को प्रभावित किया है जबकि पहले मंकीपॉक्स का लोगों के बीच तेजी से संक्रमण नहीं हुआ था, इसलिए कुल मिलाकर फिलहाल इसका जोखिम कम है.’


मौजूदा वक्त में मंकीपॉक्स के लिए कोई ऑफिशियल इलाज नहीं है और इसके संक्रमण की मियाद पर भी आंकड़े सीमित हैं, वहीं संक्रमण के फैलाव की अवधि 5 से 21 दिनों तक है.


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