Sheikh Hasina: शेख हसीना का मुकद्दर तय करेंगे अगले 9 दिन, क्या उसके बाद भारत चाहकर भी कुछ नहीं कर पाएगा?
Bangladesh Former PM: बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना के लिए अगले 9 दिन बेहद अहम हैं. ये 9 दिन ही शेख हसीना का मुकद्दर तय करेंगे. इन दिनों में तय हो जाएगा कि हसीना भारत की शरण में रहेंगी या उन्हें बांग्लादेश लौटना होगा. दरअसल इसके पीछे भारत और बांग्लादेश के बीच एक समझौता है.
Bangladesh News: बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की अगुवाई में चल रही अंतरिम सरकार ने शेख हसीना को वापस बांग्लादेश लाने का फैसला किया है. बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने बयान जारी कर कहा है कि भारत से शेख हसीना को वापस लाने के लिए जरूरी कार्रवाई को शुरू कर दिया गया है.
5 अगस्त को तख्ता पलट के फौरन बाद शेख हसीना ने बांग्लादेश छोड़ दिया था. एक विमान के जरिए उन्हें भारत लाया गया था. तब खबरें आई थीं कि विरोधियों ने शेख हसीना के साथ एक डील की थी जिसके तहत शेख हसीना को बांग्लादेश नहीं लौटना था और बदले में उनकी जान बख्शी जा रही थी. लेकिन अंतरिम सरकार बनते ही शेख हसीना पर मर्डर के आरोप लगा दिए गए और अब उन्हें भारत से वापस लाने का ऐलान किया जा रहा है.
15 जुलाई से 5 अगस्त तक चले हिंसक प्रदर्शनों को ही आधार बनाकर शेख हसीना पर मर्डर के आरोप लगाए गए. अब मोहम्मद यूनुस की सरकार शेख हसीना को भारत से लाकर कथित अपराधों की सजा देने का दावा कर रही है. शेख हसीना को भारत से बांग्लादेश लाने के लिए वो यूनुस सरकार उस प्रत्यर्पण संधि का इस्तेमाल कर सकती है जिस पर दोनों देशों के बीच साल 2013 में सहमति बनी थी.
संधि का आर्टिकल 2 कहता है अगर किसी व्यक्ति ने ऐसा अपराध किया है, जिसकी सजा एक साल से ज्यादा हो सकती है तो उस व्यक्ति का प्रत्यर्पण किया जा सकता है. इसी वजह से बांग्लादेश में शेख हसीना के ऊपर हत्या के इल्जाम लगाए गए हैं क्योंकि बांग्लादेश के कानून में मर्डर पर सजा ए मौत का प्रावधान है. इसी संधि में एक पेच है जिसकी वजह से अगर भारत चाहे तो वो शेख हसीना को वापस भेजने के लिए बाध्य नहीं है.
प्रत्यर्पण संधि का आर्टिकल 6 कहता है अगर किसी व्यक्ति के ऊपर लगाए गए आरोप राजनीतिक हैं या राजनीति से प्रेरित हैं तो उस व्यक्ति के प्रत्यर्पण के लिए दूसरा पक्ष बाध्य नहीं है. संधि के आर्टिकल 8 में कहा गया है अगर आरोपी जिस देश में रह रहा है वहां ये साबित कर सके कि उसका प्रत्यर्पण न्यायसंगत नहीं है, ऐसे हालात में भी आरोपी का प्रत्यर्पण नहीं किया जा सकता.
यानी प्रत्यर्पण संधि होने के बाद भी अगर भारत को लगता है कि शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग राजनीति से प्रेरित है या फिर बांग्लादेश जाने पर शेख हसीना के साथ अन्याय हो सकता है तो भारत प्रत्यर्पण के लिए बाध्य नहीं है.
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की अपील पर शेख हसीना का प्रत्यर्पण किया जाएगा या नहीं, ये पूरी तरह भारत के हाथ में है, लेकिन प्रक्रिया के तहत शेख हसीना भी ज्यादा दिन तक भारत में नहीं रह पाएंगी.
बांग्लादेश के लिए भारतीय वीजा पॉलिसी में प्रावधान है अगर किसी व्यक्ति के पास डिप्लोमेटिक पासपोर्ट है तो उसे भारत में वीज़ा फ्री एंट्री मिलती है और वो व्यक्ति 45 दिन तक भारत में रह सकता है. शेख हसीना 5 अगस्त को भारत आई थीं. यानी अब तक उन्हें 36 दिन हो चुके हैं. 45 दिन की तय टाइम लिमिट के लिहाज से अगले 9 दिनों के अंदर ही शेख हसीना को कुछ करना होगा, ताकि वो भारत में रह सकें.
संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी संधि पर भारत ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं. इसी वजह से भारत में शऱणार्थी और राजनीतिक शरण की तय परिभाषा नहीं है. अगर शेख हसीना भारत में शरण के लिए आवेदन करती हैं तो भारत सरकार उन्हें शऱण दे सकती है.