Bangladesh Students Protest Updates: बांग्लादेश में एक बार फिर से हिंसा शुरू हो गई है और सड़कों पर तनाव है. आरक्षण की मांग को लेकर जो हिंसक प्रदर्शन जैसे तैसे शांत हुआ था, वो हिंसा फिर से शेख हसीना को टेंशन देने लगी है. शुक्रवार को जुमें की नमाज के बाद शुरू हुए प्रदर्शन रविवार को हिंसक हो गए. आखिर बांग्लादेश में टेंशन पार्ट टू की क्या वजह है. 


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बांग्लादेश में क्यों शांत नहीं हो रहा बवाल?


बांग्लादेश में पिछले कई दिनों से आरक्षण की आग ऐसी भड़की है कि शांत होने का नाम नहीं ले रही है. पड़ोसी मुल्क में शहर-दर-शहर यही हाल है. कहीं पत्थरबाजी, कहीं आगजनी तो कहीं पर कहीं विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इस हिंसा में अब तक 72 लोग मारे जा चुके हैं. बांग्लादेश में बड़ी मुश्किल से हिंसा थमी थी और तनाव कम हुआ था. लेकिन शुक्रवार को बांग्लादेश में जुमे की नमाज के बाद बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर आए थे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी और हंगामा शुरू कर दिया था.


ढाका में फिर सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी


शनिवार होते होते हजारों की संख्या में लोग सड़क पर उतर आए और जमकर विरोध प्रदर्शन किया. रविवार को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों और सत्तारूढ़ अवामी लीग के समर्थकों में झड़प हो गई. इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस भी मौके पर तैनात थी. लिहाजा प्रदर्शनकारियों और पुलिस में जमकर टकराव भी हुआ.


रविवार को हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई और करीब तीन दर्जन लोग घायल हो गए. सरकार के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी असहयोग कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे थे. इस दौरान अवामी लीग, छात्र लीग और जुबो लीग के कार्यकर्ताओं ने उनका विरोध किया. इसके बाद दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़प हुई और देखते ही देखते हिंसा फैलती चली गई.


अब क्या है प्रदर्शनकारियों की मांग?


आपको बता दें कि बांग्लादेश में दोबारा हुए संग्राम में प्रदर्शनकारी उन छात्रों की रिहाई की मांग पर अड़े हुए हैं, जिन्हें आरक्षण की मांग को लेकर हुई हिंसा में गिरफ्तार कर लिया गया था. इससे पहले बांग्लादेश में शांति स्थापित करने के लिए सरकार ने विरोध करने वाले नेताओं की रिहाई का फरमान सुनाया था. लेकिन सरकार का ये फैसला जनता के गुस्से को शांत करने में विफल रहा.


पिछले महीने छात्रों के विरोध प्रदर्शन की शुरुआत सरकारी नौकरियों के लिए कोटा को खत्म करने की मांग के साथ हुई थी. इस दौरान सिविल सेवा नौकरी कोटा के खिलाफ छात्र रैलियों ने पिछले महीने देशभर में संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया था. हिंसा के बाद सामने आए आंकड़ों के मुताबिक कम से कम 206 लोग मारे गए.


रिहा हुए नेताओं ने भड़का दिए लोग


ये हिंसा ये हिंसा प्रधान मंत्री शेख हसीना के 15 साल के कार्यकाल की सबसे खराब घटनाओं में से एक थी. उनकी सरकार के सुरक्षा बलों की कार्रवाइयों ने घरेलू स्तर पर व्यापक विरोध पैदा किया और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी आलोचना हुई. अब बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन की शुरूआत करने वाले छह बडे नेताओं को रिहा करने के एक दिन बाद ही इन्हीं नेताओं ने लोगों से दोबारा सड़कों पर आने की अपील की है. शेख हसीना ने इस अपील को तख्ता पलट की साजिश करार दिया है. इसी बीच भारत सरकार ने एडवाइजरी जारी कर बांग्लादेश में पढ़ रहे सभी छात्रों को भारतीय दूतावास के टच में रहने की सलाह जारी की है.