British Army News: ब्रिटेन में ब्रिटिश फौज की ताकत टेंशन की वजह बनी हुई है. जिस अंग्रेजी हुकूमत के लिए कहा जाता था कि इसका सूर्य कभी अस्त नहीं हो सकता, उसी ब्रिटेन की सेनाओं का हाल ऐसा हो गया है कि वो 6 महीने जंग के मैदान में नहीं टिक सकतीं. ब्रिटिश सेनाओं की कुव्वत पर ग्रहण कैसे लगा? पढ़‍िए हमारी रिपोर्ट.


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बड़ी जंग में 6 महीने के अंदर ब्रिटिश सेना का सफाया हो जाएगा!


ये कोई सामरिक विश्लेषण नहीं. कोई एंटी ब्रिटिश एजेंडा नहीं, बल्कि ब्रिटिश सरकार में मंत्री एलिएस्टर कार्न्स का कबूलनामा है. उन्होंने साफ साफ कहा कि रूस और यूक्रेन जैसे स्तर का युद्ध हुआ तो ब्रिटिश सेना उसे एक साल तक भी नहीं सह पाएगी एलिएस्टर कार्न्स ने इस कबूलनामे के पीछे रूस और यूक्रेन युद्ध के एक तथ्य को सामने रखा है.


रूस-यूक्रेन युद्ध में औसतन हर रोज 1500 सैनिक या तो घायल होते या मारे जाते हैं जबकि ब्रिटिश सेना की कुल तादाद 1 लाख 9 हजार है. अगर इस औसत पर परखा जाए तो बड़े युद्ध में तकरीबन 75 दिन में ब्रिटिश सेना गैरप्रभावी हो जाएगी.


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ब्रिटिश सेना के सामने ना सिर्फ तादाद बल्कि सैन्य संसाधनों की कमी का भी संकट खड़ा है. लंबे समय से ब्रिटेन ने मिसाइल को छोड़कर किसी और सैन्य तकनीक में कदम आगे नहीं बढ़ाए हैं. सैन्य संसाधनों की कमी की सबसे बड़ी वजह रही है.


मिलिट्री बजट का टोटा


ब्रिटेन में आर्थिक तंगी की वजह का सबसे बड़ा असर सेना और उसके संसाधनों पर पड़ा है. नाटो का सदस्य होने के बावजूद ब्रिटेन अपनी जीडीपी का 2 फीसदी भी सैन्य संसाधनों पर खर्च नहीं कर रहा है. ये वो मानक है जिसे हर नाटो सदस्य को पूरा करना होता है लेकिन ब्रिटेन ये भी पूरा नहीं कर पा रहा. इसी वजह से ब्रिटिश सेनाओं के वर्तमान संसाधनों का रख रखाव तक नहीं किया जा रहा.


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ब्रिटेन ने अपने सैन्य बेड़े के ड्रोन, हेलीकॉप्टर और अटैक बोट्स को स्क्रैप करने का फैसला किया. जो सैन्य उपकरण 50 साल पुराने हैं, उन्हें स्क्रैप किया जाएगा और ब्रिटिश सरकार इस स्क्रैपिंग के जरिए तकरीबन 500 मिलियन डॉलर बचाएगी.


ब्रिटिश सेनाओं को बड़े युद्ध में कामयाबी ना हासिल कर पाने की आशंका है. ब्रिटेन ने लंबे वक्त से कोई बड़ा युद्ध नहीं लड़ा है. नाटो के झंडे तले ब्रिटिश सेनाएं इराक के युद्ध और अफगानिस्तान के एंटी टेरर ऑपरेशंस का हिस्सा रही हैं लेकिन ये ऑपरेशन भी स्पेशल फोर्सेज ने किए थे जिसकी वजह से पारंपरिक इंफैंट्री को युद्ध अनुभव नहीं मिल पाया है.


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जिस ब्रिटेन ने सदियों तक आधी दुनिया पर राज किया, जिस ब्रिटेन ने दूसरे विश्वयुद्ध में हिटलर के जर्मनी से लोहा लिया, वो ब्रिटेन आज उस हालत में पहुंच गया है जहां मंत्री खुद कबूल रहे हैं, 'हमारी सेना बड़ा युद्ध लड़ने लायक नहीं बची.'


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