British queen elizabeth india visit: ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का 96 साल की उम्र में निधन हो गया. एलिजाबेथ द्वितीय ब्रिटेन पर सबसे लंबे समय तक राज करने वाली शाही हस्ती हैं और उन्होंने करीब 7 दशक तक शाही गद्दी को संभाला. एलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद उनके सबसे बड़े बेटे प्रिंस चार्ल्स ब्रिटेन के नए महाराज और राष्ट्रमंडल देशों के नए राष्ट्राध्यक्ष के रूप में महारानी के अंतिम संस्कार और श्रद्धांजलि कार्यक्रम की अगुवाई करेंगे. महारानी के निधन पर ब्रिटेन की नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री लिज ट्रस, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत दुनियाभर के नेताओं ने शोक जताया है. एलिजाबेथ द्वितीय ने अपने जीवन में तीन बार भारत का दौरा किया था और उनका रिश्ता बेहद खास रहा है.


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पहले दौरे में किया ताज का दीदार


सबसे पहले महारानी ने 1961 में भारत का दौरा किया था और इस दौरान उन्होंने विश्व प्रसिद्ध ताजमहल का दीदार किया था. यह आजाद भारत में ब्रिटिश शाही परिवार का पहला दौरा था. महारानी के साथ तब प्रिंस फिलिप भी देश के दौरे पर आए थे और यहां उनका शानदार स्वागत किया गया था. तब देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद और पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू शाही परिवार की अगवानी के लिए एयरपोर्ट पहुंचे थे. अपने पहले दौरे पर महारानी गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल हुई थीं और उन्होंने राजघाट जाकर बापू को श्रद्धांजलि भी दी थी.


दूसरे दौरे में मदर टेरेसा को दिया अवार्ड


ब्रिटिश महारानी क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय ने अपना दूसरा दौरा वर्ष 1983 में किया था. भारत पहुंचने पर राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने उनका और उनके पति प्रिंस फिलिप का स्वागत किया था.  अपने 9 दिनों के दौरे के दौरान उन्होंने पीएम इंदिरा गांधी से मुलाकात की थी. इस दौरे में उन्होंने मदर टेरेसा को सिविलियन अवॉर्ड ऑर्डर ऑफ मेरिट से नवाजा था. चूंकि वे भारतीय भोजन नहीं खाती थीं, इसलिए उनके लिए दिल्ली के हैदराबाद हाउस में खास शेफ बुलाए गए थे, जो ब्रिटिश महारानी की पसंद का भोजन बनाने में दक्ष थे. 


तीसरे दौरे में पहुंचीं थीं जलियांवाला बाग


क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय ने अपना आखिरी दौरा वर्ष 1997 में किया था. यह भारत की ब्रिटेन से आजादी की 50वीं जयंती थी और देश आजादी के इस स्वर्णिम अवसर को पूरे जोश से मना रहा था. इस दौरे अपने पति प्रिंस फिलिप के साथ पहुंची ब्रिटिश क्वीन ने कई धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया था. उन्होंने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में जाकर वहां पर माथा टेका था. साथ ही जलियांवाला बाग में जाकर अपनी श्रद्धांजलि भी धी. ऐसा करने वाली वे ब्रिटेन की पहली राष्ट्राध्यक्ष थीं. 


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