US News: अप्रवासी अधिकार संगठनों के एक समूह ने बुधवार को राष्ट्रपति जो बाइडेन के हालिया निर्देश को लेकर बाइडेन प्रशासन पर मुकदमा किया. बाइडेन ने हाल ही में दक्षिणी सीमा पर शरणार्थियों के प्रवेश पर प्रभावी रूप से रोक लगा दी थी. इस फैसले का विरोध करते हुए ग्रुप ने दावा किया कि राष्ट्रपति का यह निर्णय ट्रंप प्रशासन के दौरान उठाए गए कदम से बहुत अलग नहीं है, जिसपर अदालतों ने रोक लगा दी थी.


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‘लास अमेरिकाज इमिग्रेंट एडवोकेसी सेंटर’ और ‘आरएआईसीईएस’ की ओर से ‘अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन’ (एसीएलयू) और अन्य ने यह मुकदमा दाखिल किया है.


बाइडेन की कार्रवाई को चुनौती
यह केस सीमा पर बाइडेन की व्यापक कार्रवाई की वैधता की पहली परीक्षा है. व्हाइट हाउस के आंतरिक विचार-विमर्श के महीनों बाद सीमा पर शरणार्थियों की एंट्री पर रोक लगाने का फैसला किया गया. इस फैसले का उद्देश्य इमिग्रेशन से निपटने के तरीके पर राष्ट्रपति के खिलाफ राजनीतिक हमलों को रोकना है.


एसीएलयू के वकील ली गेलरेंट ने कहा, 'शरण लेने वालों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद हमारे पास मुकदमा दाखिल करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा था. बाइडेन प्रशासन का यह फैसला कानूनी रूप से ट्रंप के प्रतिबंध से अलग नहीं है, जिसपर हमने सफलतापूर्वक रोक लगवाई थी.'


क्या है बाइडेन प्रशासन का ऑर्डर?
पिछले सप्ताह बाइडेन प्रशासन द्वारा जारी आदेश के अनुसार, बंदरगाहों पर पहुंचने वाले प्रवासियों की संख्या प्रतिदिन 2,500 तक पहुंचने पर शरण प्रक्रिया सीमित हो जाएगी. लेकिन नए आंकड़ों में साफ हुआ कि संख्या चार हजार के आंकड़े को पार कर गई है, जिसके कारण यह नियम तुरंत प्रभावी हो गया.


ये प्रतिबंध दो सप्ताह तब तक के लिए प्रभावी रहेंगे, जब तक कि बंदरगाहों पर पहुंचने वाले प्रवासियों की संख्या प्रतिदिन 1,500 या उससे कम नहीं हो जाती. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि संख्या कब इतनी कम होगी.


पिछली बार जुलाई 2020 में कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान ऐसा हुआ था. बाइडेन प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि यह आदेश पांच जून से प्रभावी हुआ है.


(इनपुट - एजेंसी)