बीजिंग: चीन ने सोमवार को आधिकारिक तौर पर पुष्टि की कि वह अपना तीसरा विमानवाहक पोत बना रहा है जो पिछले दो विमानवाहक पोतों से ‘‘बड़ा और ज्यादा ताकतवर’’ है. अपने देश से काफी दूर के समुद्री क्षेत्रों में अपनी नौसेना की क्षमता बढ़ाने के मकसद से चीन इन तैयारियों में जुटा है. विमानवाहक पोतों के निर्माण के क्षेत्र में देर से कदम रखने वाले चीन ने 2012 में अपना पहला विमानवाहक पोत लियाओनिंग बनाया था. यह यूक्रेन से खरीदे गए पूर्व सोवियत पोत को नया रूप देकर तैयार किया गया था. लियाओनिंग का परिचालन शुरू करने के बाद उसने ताइवान जलसंधि क्षेत्र में कई अभ्यास की अगुवाई की.


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इसे प्रयोगात्मक पोत माना जाता रहा है जिसका इस्तेमाल प्रौद्योगिकी पर महारत हासिल करने के लिए किया जाता है. खासकर इसका इस्तेमाल नवनिर्मित जे-15 विमानों के परिचालन के लिए किया जाता है. इसके बाद, चीन ने घरेलू स्तर पर अपना दूसरा विमानवाहक पोत बनाया और पिछले साल इसका समुद्री अभ्यास शुरू किया गया.


इस पोत का नाम अब तक नहीं रखा गया है. उम्मीद है कि इसे 2020 तक सेना में शामिल किया जाएगा. सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ ने सोमवार को खबर दी कि चीन ने अपना तीसरा विमानवाहक पोत बनाने का काम शुरू कर दिया है. ‘शिन्हुआ’ के हवाले से सरकारी अखबार ‘चाइना डेली’ ने कहा कि ‘‘नई पीढ़ी के पोत’’ का निर्माण तय कार्यक्रम के मुताबिक शिपयार्ड में किया जा रहा है.


समाचार एजेंसी की रिपोर्ट से पहली बार आधिकारिक पुष्टि हुई है कि चीन तीसरा विमानवाहक पोत बना रहा है. बहरहाल, चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉर्प के मुख्यालय में तैनात एक अधिकारी ने इस मुद्दे पर टिप्पणी से इनकार कर दिया.  ‘चाइना डेली’ अखबार की रिपोर्ट में बताया गया कि ऐसी अटकलें हैं कि चाइना स्टेट शिपबिल्डिंग कॉर्प के जियांगनान शिपयार्ड ग्रुप में लियाओनिंग से ‘‘बड़ा और ज्यादा ताकतवर’’ पोत बनाया जा रहा है.


इनपुट भाषा से भी