Amber Room Treasure: रूस अपने बड़े क्षेत्रफल, अत्याधुनिकों हथियारों, खतरनाक मिसाइलों के लिए दुनिया में मशहूर है. लेकिन रूस के पास कई खजाने भी हैं, जिसमें एंबर रूम का सोने और कीमती पत्थरों का खजाना तो दुनिया का आठवां अजूबा कहलाता है.
Trending Photos
Treasure of Russia: दुनिया में अनगिनत खजाने हैं जिन्हें ढूंढने के लिए आज भी लोग जुटे हुए हैं. खजाने कहां हैं, इनसे जुड़े रहस्यों को जानने में आम लोगों की भी खासी दिलचस्पी रहती है. जैसे- दुनिया के कुछ खजाने ऐसे हैं जिन्हें ढूंढने में कई लोग मर-खप गए, तो वहीं कुछ खजाने ऐसे भी हैं जो आश्चर्यजनक तौर पर गायब हो गए. रूस का एक मशहूर खजाना एंबर रूम भी इन गायब हुए खजानों में से एक है. एंबर रूम का यह खजाना इतना कीमती और बेमिसाल है कि इसे दुनिया का आठवां अजूबा कहा जाता है.
यह भी पढ़ें: पुरुषों की मर्दाना ताकत कम करने म्यांमार की महिलाओं ने सड़कों पर टांग दिए थे 'अशुद्ध कपड़े', जानिए सारोंग क्रांति
कमरे पर चढ़ी थी 6 टन सोने की परत
एंबर रूम 1701 में बना था. इसे 'दुनिया का आठवां आश्चर्य' कहा जाता था. यह रूस की सबसे कीमती कलाकृतियों में से एक था. इसे पीटर द ग्रेट को रूस और पर्शिया के बीच शांति के तोहफे में दिया गया था और इसे सेंटर पीटर्सबर्ग में कैथरीन पैलेस में स्थापित किया गया था. रूस और जर्मनी की पेंटिंग्स से सजे इस कमरे में 6 टन सोने की परत चढ़ाई गई थी. साथ ही इसमें अनगिनत कीमती पत्थर भी जड़े हुए थे.
यह भी पढ़ें: बाप रे! समंदर में इस जगह रखा है 5000 टन सोना-चांदी, एक पुर्तगाली ने खोजा 'महा खजाना'
दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान हुआ चोरी
जर्मन नाजियों ने जब दूसरे विश्व युद्ध के दौरान एंबर रूम में जड़े सोने और कीमती पत्थरों को समुद्री मार्ग से अपने देश ले जाने का प्रयास किया तो यह खजाना समंदर में कहीं डूब गया. हालांकि कई इतिहासकार इस बात को गलत भी ठहराते हैं. कुछ लोगों का कहना है कि ये खजाना आज भी जर्मनी में ही कहीं है. कुल मिलाकर एंबर रूम के गायब होने को लेकर कई थ्योरी सामने आईं लेकिन ये सच में कहां है ना तो उसे कोई ढूंढ पाया और ना ही उसके कहीं होने के कोई सबूत मिले.
यह भी पढ़ें: कश्मीर के अनंतनाग का कारोबारी कैसे बना पाकिस्तान का सबसे बड़ा सियासी घराना, कहानी नवाज शरीफ के खानदान की
3 ट्रेजर हंटर्स ने कई साल खपाए
यह भी कहा गया कि 1968 में सोवियत महासचिव लियोनिद ब्रेझनेव ने कोनिग्सबर्ग महल को नष्ट करने का आदेश दिया था और इसके साथ ही यह खजाना भी नष्ट हो गया. इसके बाद जर्मनी की ड्रेसडेन सिटी में 3 ट्रेजर हंटर्स - लियोनार्ड ब्लयुम (73), गुंटर एकार्ट (67), और पीटर लोर (71) ने कई साल तक इस खजाने की खोज की लेकिन उन्हें भी अंतत: असफलता ही हाथ लगी.