युद्ध के मैदान में क्‍यों हार रहे हैं तानाशाह किम जोंग के सैनिक? धड़ाधड़ बन रहे यूक्रेन का निशान
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युद्ध के मैदान में क्‍यों हार रहे हैं तानाशाह किम जोंग के सैनिक? धड़ाधड़ बन रहे यूक्रेन का निशान

North Korea Ukraine War: रूस और यूक्रेन का युद्ध लंबे समय से चल रहा है, जिसमें अपने दोस्‍त रूस के लिए लड़ रही उत्तर कोरियाई सेना के सैनिक बड़ी संख्‍या में मारे जा रहे हैं.

युद्ध के मैदान में क्‍यों हार रहे हैं तानाशाह किम जोंग के सैनिक? धड़ाधड़ बन रहे यूक्रेन का निशान

North Korea Army: उत्तर कोरिया की सेना दुनिया की चौथी बड़ी सेना है. इसे ताकतवर सेना माना जाता है. इसे नार्थ कोरिया पीपुल्स आर्मी भी कहा जाता है. उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने जब रूस की मदद करने के लिए यूक्रेन के खिलाफ अपनी सेना भेजने की बात कही तो दुनिया चौंक गई, लगा कि अब यह युद्ध और भयंकर हो जाएगा. लेकिन युद्ध के मैदान से जो खबरें आ रही हैं वे इससे बेहद अलग हैं.

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कुर्स्‍क क्षेत्र में लड़ रहे उत्तर कोरियाई सैनिक

फिलहाल उत्तर कोरियाई सैनिक यूक्रेन के खिलाफ कुर्स्क क्षेत्र में रूस के लिए लड़ रहे हैं. इसे लेकर जो डेटा सामने आ रहे हैं वे अलग-अलग हैं. दक्षिण कोरिया के अनुसार यूक्रेनी बलों ने करीब 1000 उत्तर कोरियाई सैनिक मार दिए हैं. कुछ गंभीर रूप से घायल भी हैं. वहीं जेलेंस्की का दावा है कि उनकी सेना ने आज तक करीब 3 हजार उत्तर कोरियाई लोगों को मार डाला है या घायल कर दिया है.

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क्‍यों मारे जा रहे उत्तर कोरियाई सैनिक?

उत्तर कोरिया की सेना भले ही दुनिया की सबसे बड़ी आर्मी में से एक है. लेकिन इसके सैनिकों के पास युद्ध के मैदान में लड़ने के अनुभव और विशेषज्ञता की कमी है, जिससे सैनिक लड़ाई के मैदान में दुश्‍मन से मात खा रहे हैं और जान गंवा रहे हैं.

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पता ही नहीं था ड्रोन हमले से कैसे बचें?

यह बेहद चौंकाने वाली बात है कि जब यूक्रेनी ड्रोन ने कुर्स्‍क के जंगलों में हमले किए तो सैनिक खुद को इन हमलों से बचा नहीं पाए. वे आधुनिक युद्ध के बारे में ज्‍यादा नहीं जानते लिहाजा उन्‍हें पता ही नहीं था कि ड्रोन हमलों से कैसा बचा जाए. The Guardian के मुताबिक, कुर्स्क के जंगलों में मिसाइलों और ट्रेनिंग हादसों में कई लोगों की जान गई है, जिनमें एक जनरल की मौत भी शामिल है.

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उत्तर कोरिया के पास बड़ी सेना लेकिन युद्ध का मैदान नहीं

एक तो उत्तर कोरिया के पास प्रैक्टिस के लिए ना तो युद्ध का मैदान है और ना वे प्रैक्टिस पर ज्‍यादा जोर देते हैं. इतना ही नहीं रूस तैनाती से पहले इन सैनिकों को ट्रेनिंग नहीं दे पाया. इसमें भाषा तो एक बड़ी बाधा भी ही. साथ ही एक्‍शन प्‍लान की कमी भी थी. रूस भी इस मामले में अपनी मदद के लिए आए उत्तर कोरियाई सैनिकों की कुछ खास मदद नहीं कर रहा है, उल्‍टे इन कम प्रशिक्षित सैनिकों के साथ अपने सैनिक भेजने से बच रहा है.

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