Russia China Relation: किसी जमाने में चीन और रूस की अदावत के चर्चे दुनियाभर में चर्चित थे लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि वह बीते दिनों की बात है. इसी कड़ी में रूसी राष्ट्रपति भवन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को सुरक्षा संबंधी वार्ता के लिए चीनी विदेश मंत्री की मेजबानी करते हुए मॉस्को और बीजिंग के बीच करीबी समन्वय नीति का आह्वान किया है. अधिकारी ने दावा किया दोनों देशों के खिलाफ पश्चिमी प्रयासों के मद्देनजर यह बेहद जरूरी है.


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'संवाद को और गहरा करना'
दरअसल, यह नजदीकी कई कारणों से बन रही है. फिलहाल रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी और सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पेत्रुशेव ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से कहा कि मॉस्को प्रगतिशील विकास और रूस-चीन के रणनीतिक सहयोग को और मजबूती देना चाहता है. पेत्रुशेव ने आरोप लगाया कि रूस और चीन को दोतरफा घेरने के लिये पश्चिमी देशों के सामूहिक अभियान के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूसी-चीनी समन्वय तथा संवाद को और गहरा करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.


‘बेल्ट एवं रोड’ के शिखर सम्मेलन
उन्होंने कहा कि चीन के ‘बेल्ट एवं रोड’ पहल के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अगले महीने बीजिंग यात्रा के दौरान पुतिन चीनी नेता शी चिनफिंग के साथ ‘‘ठोस’’ वार्ता करने के लिए तैयार हैं. पेत्रुशेव ने ताइवान, पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र और हांगकांग से संबंधित मुद्दों पर बीजिंग की नीति के लिए रूस के समर्थन की पुष्टि की है. पेत्रुशेव ने आरोप लगाया कि चीन को बदनाम करने के लिए पश्चिमी देशों द्वारा इन मुद्दों का इसका इस्तेमाल किया जा रहा है.


रूस को चीन के समर्थन की जरूरत?
बता दें कि रूस अब चीन का एक अहम सहयोगी बन गया है. वो बीते 20 सालों से चीन को विमानन उद्योग विकसित करने के लिए कई अहम तकनीक दे रहा है. उदाहरण के लिए रूस से मिल रही निर्बाध ऊर्जा ने चीन को मध्य पूर्व और अमेरिका से अपने आयात में विविधिता लाने और इसे संतुलित करने में मदद की है. फिलहाल अब रूस को चीन के समर्थन की ज़्यादा ज़रूरत है. यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर लगे प्रतिबंधों को नाकाम बनाने के लिहाज से चीन अहम है. इनपुट-एजेंसी