Taiwan Presidential Election 2024: ताइवान में नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए आज (13 जनवरी) वोट डाले जा रहे हैं. इस चुनाव के नतीजे अगले चार साल तक चीन के साथ उसके संबंधों की दिशा तय कर सकते हैं . चीन के तट से 160 किलोमीटर (100 मील) दूर ताइवान की शांति और स्थिरता दांव पर है, जिस पर बीजिंग अपना दावा करता है. बीजिंग यहां तक कहता है कि अगर जरुरत पड़ी तो ताकत के जरिए इसे वापस ले लिया जाएगा.


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वोटिंग शनिवार सुबह आठ बजे शुरू होकर करीब आठ घंटे तक जारी रहेगी.  और करीब आठ घंटे तक चलेगा. इससे पहले उम्मीदवारों ने शुक्रवार रात को अपना प्रचार अभियान समाप्त किया. प्रचार अभियान में सुस्त अर्थव्यवस्था और महंगे आवास जैसे घरेलू मुद्दे भी प्रमुखता से शामिल हुए.


मैदान में हैं ये बड़े नाम
सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) का प्रतिनिधित्व कर रहे उपराष्ट्रपति लाई चिंग-ते निवर्तमान राष्ट्रपति ताई इंग-वेन के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं और स्वतंत्रता समर्थक पार्टी को अभूतपूर्व रूप से तीसरी बार जीताने की कोशिश में लगे हैं. लाई अपने गृह नगर तैनान में वोट डालेंगे.


चीन समर्थक कुओमिंगतांग पार्टी के उम्मीदवार होऊ यू-इह, न्यू ताइपे शहर में अपना वोट डालेंगे. इसे नेशनलिस्ट पार्टी के नाम से भी जाना जाता है.


युवा मतदाताओं के बीच लोकप्रियता हासिल करने वाले ताइवान पीपुल्स पार्टी के उम्मीदवार को वेन-जे ताइपे में वोट डालेंगे. वे दो प्रमुख राजनीतिक दलों का विकल्प पेश कर रहे हैं.


चीन है चुनाव का बड़ा मुद्दा
तैनान में लाई ने बताया कि उन्होंने 1996 में पहले राष्ट्रपति चुनाव से पहले ताइवानी मतदाताओं को डराने-धमकाने के इरादे से चीन के मिसाइल परीक्षण और सैन्य अभ्यासों के कारण सर्जन के रूप में अपना करियर छोड़ दिया.  उन्होंने कहा, ‘मैं ताइवान में अभी-अभी शुरू हुए लोकतंत्र की रक्षा करना चाहता हूं. मैंने मोटी तनख्वाह वाली अपनी नौकरी छोड़ दी और लोकतंत्र में अपने बड़ों के पदचिह्नों पर चलने का फैसला किया.’


दूसरी तरफ ताइवान पुलिस फोर्स के पूर्व प्रमुख और राजधानी के उपनगरों के मेयर होऊ ने कहा कि बीजिंग के साथ रिश्तों पर लाई का नजरिया अनिश्चितता और बल्कि युद्ध की आशंका पैदा कर सकता है.


चीन के साथ अमेरिका की भी नजर
चीन की सैन्य धमकियां कुछ मतदाताओं को स्वतंत्रता समर्थक उम्मीदवारों के खिलाफ कर सकती हैं. हालांकि अमेरिका ने किसी भी सरकार के बनने पर उसे समर्थन देने का संकल्प लिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने चुनाव के तुरंत बाद द्वीपीय देश में पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों वाला एक अनौपचारिक प्रतिनिधिमंडल भेजने की योजना बनाई है.


यह कदम बीजिंग और वाशिंगटन के बीच संबंधों को सामान्य बनाने की कोशिशों में बाधा पैदा कर सकता है जो कि हाल के वर्षों में व्यापार, कोविड-19, ताइवान के लिए अमेरिका के समर्थन और यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण तनावपूर्ण हैं.


चीन के साथ तनाव के अलावा ताइवान का चुनाव काफी हद तक घरेलू मुद्दों पर निर्भर करता है खासतौर से अर्थव्यवस्था पर जो पिछले साल महज 1.4 प्रतिशत बढ़ी है.


(इनपुट - एजेंसी)