यूक्रेन में फंसे भारतीयों के लिए सबसे अहम एडवाइजरी, युद्ध क्षेत्र में इन बातों का रखें ख्याल
रूस व यूक्रेन के बीच जंग जारी है. ऐसे में कई भारतीय छात्र अभी भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं. ऐसे में भारत के रक्षा मंत्रालय ने छात्रों को जंग के बीच क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इसको लेकर जानकारी दी है.
नई दिल्लीः आज भारत के रक्षा मंत्रालय ने युद्धक्षेत्र में फंसे भारतीय छात्रों के लिए Dos & Donts भी बताए हैं. यानी युद्धक्षेत्र में फंसे भारतीय छात्रों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इसके बारे में पूरी विस्तृत जानकारी दी है.
रशियन की 2-3 बातें सीख लें छात्र
इसमें भारतीय छात्रों से कहा गया है कि वो रशियन भाषा में 2-3 बातें बोलना सीख लें. जैसे वो भारतीय छात्र हैं, वो युद्ध में शामिल नहीं हैं और हमारी मदद कीजिए. ये बातें अगर भारतीय छात्र रशियन भाषा में रशिया के सैनिकों से कहेंगे, तो उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा.
युद्धक्षेत्र में छात्रों को ये नहीं करना है
छात्रों को बंकर से बाहर नहीं निकलना है. भीड़भाड़ वाले इलाकों से दूर रहना है. विरोध-प्रदर्शन और विद्रोही गुटों में शामिल नहीं होने की सलाह दी गई है. सोशल मीडिया पर किसी का भी पक्ष लेने से बचने को कहा गया है. सड़क पर पड़ा कोई हथियार या कोई विस्फोटक बिल्कुल नहीं छूना है. जहां सैन्य तैनाती है, वहां तस्वीर खींचना और जंग के वीडियो नहीं बनाने की सलाह दी गई है. इसके अलावा सायरन बजने पर बंकर में रहने के लिए कहा गया है.
जंग के दौरान इन बातों का रखना है ध्यान
ज्यादा बड़े Groups में ना रह कर छात्रों को छोटे-छोटे Groups में रहना चाहिए. Whats App Group बनाकर उस पर अपना नाम पता और दूसरी जानकारी शेयर करनी चाहिए. हर 8 घंटे में अपनी लोकेशन की जानकारी दूसरों को देनी चाहिए. भारत सरकार ने जो Helpline Number जारी किए हैं, उन पर बात करते रहें. अगर कोई छात्र कर्फ्यू वाले इलाके में फंसा है, तो उसे बंकर के अलावा कहीं और शरण नहीं लेनी चाहिए.
पीएम मोदी के नेतृत्व में 9 ऑपरेशन
दुनिया का कोई भी देश हो, कितना भी बड़ा संकट हो और युद्ध की स्थितियां कैसी भी रही हों, भारत हमेशा अपने नागरिकों के साथ खड़ा रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अब तक भारत सरकार ऐसे 9 ऑपरेशन चला चुकी है, जिनमें 2014 से 2022 के बीच अलग अलग देशों से 60 लाख 11 हज़ार भारतीय नागरिकों को Evacuate किया गया है. जबकि, इन्हीं संकट के दौरान अमेरिका और पश्चिमी देशों ने अपने नागरिकों को बचाने के लिए कभी गम्भीर प्रयास नहीं किए. इसलिए आज आपको भारत की इस ताकत के बारे में भी पता होना चाहिए.
विदेशी धरती से भारतीयों को लाया गया वापस
अगस्त 2014 में जब Libya में गृह युद्ध चल रहा था, तब भारत सरकार ने अपने 1200 नागरिकों को Evacuate किया था. इसी तरह वर्ष 2015 में जब नेपाल में भूकम्प आया था, तब वहां फंसे 5 हजार भारतीयों को वायु सेना के ऑपरेशन मैत्री के तहत सुरक्षित भारत लाया गया था. वर्ष 2015 में ही जब यमन में लड़ाई चल रही थी, तब भारत सरकार ने 'ऑपरेशन राहत' के तहत 4 हजार 640 भारतीय नागरिकों को Evacuate किया था. इसके अलावा तब 41 देशों के 960 नागरिकों की जान भी भारत ने बचाई थी.
अफ्रीका से भी निकाला बाहर
वर्ष 2016 में अफ्रीकी देश Sudan में गृह युद्ध के हालात थे, तब भारत सरकार खतरनाक हालात में अपने 153 नागरिकों को देश वापस लेकर आई थी. जबकि, बड़ी-बड़ी महाशक्तियों ने उस समय अपने नागरिकों को मदद भेजने से इनकार कर दिया था.
कोरोना काल में चलाया सबसे बड़ा मिशन
कोरोना काल में तो भारत सरकार ने वन्दे भारत मिशन के तहत 60 लाख भारतीय नागरिकों को Evacuate किया था. ये भारत के इतिहास का सबसे बड़ा Evacuation ऑपरेशन था और इसमें भारत सरकार चीन के वुहान में फंसे भारतीय छात्रों को भी सुरक्षित देश लाने में कामयाब रही थी. अब यूक्रेन में युद्ध के बीच ऑपरेशन गंगा के तहत हजारों छात्रों को भारत लाया जा रहा है. भारत के 4 सीनियर मंत्री इस समय यूक्रेन के पड़ोसी देशों में रहकर ऑपरेशन गंगा पर काम कर रहे हैं.
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