DNA With Sudhir Chaudhary: हफ्ते में चार दिन काम से जिन्दगी आसान? जानिए क्या कहते हैं रिजल्ट
DNA With Sudhir Chaudhary: ब्रिटेन की 60 कंपनियों ने 4 day work week का प्रयोग शुरू किया है. इसे लेकर भारत में भी बात चल रही है. आइए जानते हैं हफ्ते में 4 दिन काम वाले देशों में क्या मिले नतीजे...
DNA With Sudhir Chaudhary: अब DNA में उन लोगों के लिए एक खास रिपोर्ट होगी, जिन्हें लगता है कि वो काम के बोझ के मारे हुए हैं. अक्सर आप लोगों को ये कहते हुए सुनते होंगे कि काम बहुत ज्यादा है, जिसकी वजह से उन्हें अपने दफ्तर में देर रात तक रुकना पड़ता है. इन बातों से ये लगता है कि काम करने का समय एक प्रकार से अंतहीन है. आजकल के जमाने में काम इतना ज्यादा हो गया है कि ये खत्म होने का नाम ही नहीं लेता. लेकिन ब्रिटेन की 60 बड़ी कंपनियों ने 1 जून से एक नया प्रयोग शुरू किया है, जिसके तहत वहां कर्मचारियों को हफ्ते में सिर्फ चार दिन काम करना होगा. इस Concept को Four Day Work Week भी कहा जाता है.
क्यों किया जा रहा यह प्रयोग
ये दुनिया में इस तरह का सबसे बड़ा प्रयोग है, क्योंकि इसमें 60 कंपनियों के तीन हजार कर्मचारी शामिल होंगे और इन लोगों को हफ्ते में सिर्फ चार दिन ही काम करना होगा. और तीन दिन इन कर्मचारियों की छुट्टी होगी. ये प्रयोग इन कर्मचारियों की Productivity यानी इनकी उत्पादकता को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है. ब्रिटेन के अलावा ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में भी अगस्त महीने से इस तरह का ट्रायल शुरू हो सकता है. यानी इस समय दुनिया एक नए तरह के Work Life Balance की खोज कर रही है
1962 में आया था 5 Day Work
अमेरिका के लोग आज एक हफ्ते में सिर्फ 34 घंटे काम करते हैं. लेकिन आज से 150 साल पहले स्थिति ये नहीं थी. 19वीं शताब्दी के मध्य में अमेरिका के लोग हफ्ते में 100 घंटे काम करते थे. लेकिन जैसे जैसे समय बदला, औद्योगिकरण का विस्तार हुआ और नई नई Technology आई तो काम के घंटे कम होने लगे. वर्ष 1926 में Ford कंपनी के संस्थापक, Henry Ford पहली बार Five Day Work Week का Cocept लेकर आए, जिसके तहत कर्मचारी सोमवार से शुक्रवार काम करते थे और शनिवार और रविवार उनकी छुट्टी होती थी.
चौंकाने वाले थे रिजल्ट
भारत में आज भी ये Cocept चल रहा है. हालांकि उस समय दुनिया ने Henry Ford की आलोचना की थी और ये कहा था कि हफ्ते में दो छुट्टी मिलने से कर्मचारी आलसी बन जाएंगे. लेकिन जब इसके नतीजे आए तो पूरी दुनिया चौंक गई. Henry Ford ने उस समय दुनिया को बताया कि उनके कर्मचारी हफ्ते में दो छुट्टियां लेने के बाद भी उतना ही काम कर रहे हैं, जितना हफ्ते में एक दिन छुट्टी लेने पर करते थे.
कंपनी का बढ़ा मुनाफा
इसके अलावा तब ये बात भी सामने आई कि इससे कर्मचारियों की उत्पादकता बढ़ी है, वो खुश रहने लगे हैं और कंपनी का भी मुनाफा बढ़ गया है. और इस शोध के बाद से ही दुनिया में अलग अलग समय पर ये बहस होती रही कि इंसानों को हफ्ते में कितने घंटे काम करना चाहिए. ज्यादातर स्टडी कहती हैं कि अगर हफ्ते में काम के घंटे ज्यादा हों तो कर्मचारियों की उत्पादकता घट जाती है. यानी वो ज्यादा घंटे काम तो करते हैं लेकिन इस काम की Productivity ज्यादा नहीं होती. इस समय जिन देशों में काम के घंटे कम हैं, वो देश Productivity के मामले में सबसे ऊपर हैं.
इन देशों में बहुत कम हैं काम के घंटे
Norway में लोग हफ्ते में सिर्फ 27 घंटे काम करते हैं. लेकिन Productivity के मामले में ये लोग दुनिया के दूसरे देशों से कहीं आगे है. सरल शब्दों में कहें तो जितना काम Norway के लोग हफ्ते के 27 घंटों में करते हैं, उतना काम भारत और पाकिस्तान जैसे देशों के लोग हफ्ते के 40 घंटों में भी नहीं कर पाते. इसी तरह जर्मनी, फ्रांस, Denmark और Netherlands की गिनती उन देशों में होती है, जहां लोग हफ्ते में 30 घंटे से भी कम काम करते हैं. लेकिन Productivity के मामले में ये दुनिया के Top Ten देशों में आते हैं.
ज्यादा समय में कम काम?
दूसरी तरफ जिन देशों में लोग ज्यादा काम करते हैं, वहां लोगों की उत्पादन क्षमता काफी कम है. जापान में लोग हफ्ते में 33 घंटे काम करते हैं. जबकि भारत में लगभग 41 घंटे है, चीन में 42 घंटे, सिंगापुर में 45 घंटे, बांग्लादेश में साढ़े 46 घंटे और म्यांमार में लोग एक हफ्ते में 47 घंटे काम करते हैं. और रिसर्च ये कहती है कि इन देशों में लोग काम तो ज्यादा घंटे करते हैं लेकिन उनकी उत्पादन क्षमता बहुत कम है. और इन देश के लोग काम के दौरान खुद को थका हुआ ज्यादा महसूस करते हैं. और इसीलिए अब दुनियाभर में Four Day Week के Concept को लागू किया जा रहा है.
भारत में भी हो रही है चर्चा
हालांकि आपमें से बहुत सारे लोग ये भी सोच रहे होंगे कि क्या हफ्ते में चार दिन काम करने पर भी उन्हें उतनी ही सैलरी मिलेगी, जितनी 5 या 6 दिन करने पर मिलती है. तो इसका जवाब है शायद नहीं. ब्रिटेन की कंपनियों ने ऐलान किया है कि वो अपने कर्मचारियों की सैलरी की समीक्षा करेंगी और संभव है कि हफ्ते में तीन दिन छुट्टी देने पर वो उनकी सैलरी कम कर दें. इसके अलावा हमारे देश में भी इस पर विचार किया जा रहा है. पिछले साल भारत के श्रम मंत्रालय ने बताया था कि वो इस Concept पर काम कर रहा है. लेकिन भारत में अगर हफ्ते में चार दिन काम और तीन दिन छुट्टी की व्यवस्था की जाती है तो कर्मचारियों के काम के घंटे बढ़ा दिए जाएंगे और उनकी सैलरी भी कम कर दी जाएगी.
ज्यादा लोगों को मिलेगा रोजगार
ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि हफ्ते के जिन तीन दिन आप छुट्टी पर रहेंगे, उन दिनों में काम करने के लिए नए कर्मचारियों को भर्ती किया जाएगा. इससे दो बड़े फायदे होंगे, पहला इससे नौकरियों की संख्या भी नहीं बढ़ानी पड़ेगी और ज्यादा लोगों को रोजगार भी मिल जाएगा. और दूसरा, जब लोग हफ्ते में तीन दिन छुट्टी पर रहेंगे तो उनका खर्च भी बढ़ जाएगा. वो शॉपिंग करने जाएंगे, Restaurants में खाना खाने के लिए जाएंगे और दूसरी चीजों पर भी अपना खर्च बढ़ाएंगे, जिससे अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी.
जीवन में काम और आनंद के बीच संतुलन जरूरी
कहते हैं कि जीवन ठहराव और गति के बीच का संतुलन है. लेकिन आज कल आप देखेंगे तो लोगों को अपने जीवन में गति तो चाहिए लेकिन वो ठहराव नहीं चाहते. आज जब लोगों के बीच पैसा कमाने की अंधी दौड़ चल रही है, तब हमें लगता है कि इस गति के साथ ये ठहराव भी बहुत जरूरी है. क्योंकि जब आपके जीवन में ठहराव आता है तो आप जीवन का आनंद उठाने लगते हैं. सही मायनों में काम और जीवन के बीच संतुलन को स्थापित कर पाते हैं.