Low Birth Rate: भारत कई दशकों से बढ़ती आबादी की समस्‍या झेल रहा है. वहीं दुनिया की कुल जनसंख्‍या भी 8 अरब पार कर चुकी है. ऐसे में यदि जनसंख्‍या में कमी आने की बात कही जाए तो यह सुनकर कानों को अच्‍छा ही लगता है लेकिन हो इसके उलट रहा है. दुनिया के दर्जन भर देश ऐसे हैं जो जनसंख्‍या में कमी से परेशान हैं. वे जन्‍मदर बढ़ाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं, वरना अगले कुछ दशकों में जनसंख्‍या की कमी के कारण इन देशों का भविष्‍य खतरे में पड़ जाएगा.


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ज्‍यादा बच्‍चे पैदा करने पर जोर


ये देश घटती जन्मदर से इतने परेशान हैं कि इन देशों में सरकारें आबादी बढ़ाने के लिए अभियान चला रही हैं. वे अपने नागरिकों को ज्‍यादा बच्‍चे पैदा करने के लिए कई तरह की आकर्षक स्‍कीमों का लालच भी दे रही हैं. यहां तक कि रूस, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों में तो सरकारें कॉलेज, यूनिवर्सिटी, वर्कप्‍लेस पर सेक्‍स लाइफ को बढ़ावा देने, ऑफिस में सहकर्मियों के साथ रिलेशनशिप बनाकर बच्‍चे पैदा करने पर इंसेंटिव तक दे रही है.


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सबसे ज्‍यादा संकट में ताइवान और दक्षिण कोरिया


ताइवान और दक्षिण कोरिया आबादी के संकट के मामले में टॉप पर हैं. दोनों देशों की औसत जन्मदर 1.1 है. यह आबादी को स्‍थायी रखने के मानक 2.1 से काफी कम है. इन देशों में ऐसे कपल्‍स की संख्‍या ज्‍यादा तेजी से बढ़ रही है जो बच्‍चे पैदा नहीं करना चाहते हैं. इसके चलते दक्षिण कोरिया में तो इसके लिए अलग से मिनिस्ट्री ही बना दी गई है.


रूस कॉलेज की लड़कियों को मां बनने पर दे रहा पैसा


रूस ने कॉलेज-यूनिवर्सिटी की 25 साल से कम उम्र की छात्राओं को मां बनने पर 81 हजार रुपए देने का वादा किया है. वहीं युद्ध की मार झेल रहे यूक्रेन में भी जन्मदर में भारी कमी आई है जो अब घटकर महज 1.2 रह गई है. इसके अलावा हॉन्गकॉन्ग और मकाउ की भी ऐसी ही स्थिति है.


दिनोंदिन घट रही आबादी


वहीं इटली, स्पेन और पोलैंड की आबादी भी बढ़ने की बजाय घट रही है. यहां औसत जन्मदर 1.3 ही है. जापान की सरकार ने साफ कहा है कि यदि ऐसे ही हालात रहे तो अगले कुछ दशकों में देश के अस्तित्‍व पर संकट बन आएगा. यही वजह है कि जापान की सरकार विवाह करने और बच्‍चे पैदा करने को प्रमोट कर रही है. बेलारूस, ग्रीस, मॉरीशस जैसे देशों में भी जन्मदर 1.4 ही है और वे भी भारी तनाव में हैं.


बता दें कि यूएन पॉपुलेशन फंड के अनुसार साल 2100 तक दुनिया की आबादी में ग्रोथ तो होगी लेकिन कई देशों में बच्‍चे कम पैदा होने से बुजुर्ग आबादी ही ज्‍यादा रहेगी. जिससे देश के पूरे मूलभूत ढांचे पर ही नकारात्‍मक असर पड़ेगा. वहीं भारत की बात करें तो यह अभी भले ही दुनिया का सबसे ज्‍यादा आबादी वाला देश है कि लेकिन यहां भी जन्मदर 2.03 ही रही.