DNA with Sudhir Chaudhary: आज पूरी दुनिया की नजरें Tokyo पर लगी हुई थीं, जहां दुनिया के चार बड़े देशों के नेता चीन के बिल्कुल करीब बैठकर, चीन को ही रोकने की रणनीति बना रहे थे. लेकिन बड़ी बात ये है कि जब ये बैठक Tokyo में चल रही थी, उस समय जापान की सीमा के बहुत करीब China और रूस के 4 Fighter Jets उड़ान भर रहे थे और ये जापान को चीन की एक Indirect धमकी थी.


बैठक के दौरान उड़ान भरना सिर्फ संयोग


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इस बात की जानकारी खुद जापान के रक्षा मंत्रालय ने दी है और उसने रूस और चीन पर जापान को उकसाने का भी आरोप लगाया है और कहा है कि इन Fighter Jets ने अंतर्राष्ट्रीय हवाई क्षेत्र का तो उल्लंघन नहीं किया. लेकिन ऐसे समय में जब QUAD की मीटिंग चल रही थी, तब जापान की सीमा के नजदीक इन Fighter Jets का उड़ान भरना संयोग नहीं हो सकता. इस मामले पर रूस के रक्षा मंत्रालय ने भी सफाई दी है और कहा है कि रूस और चीन की वायु सेना संयुक्त अभ्यास करती रही है और आज भी दोनों देशों के लड़ाकू विमानों ने East China Sea से प्रशांत महासागर तक के इलाके में युद्ध अभ्यास किया और इस दौरान किसी भी विमान ने जापान के हवाई क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया.


जापान में हुआ QUAD समिट का आयोजन


चीन के सरकारी अखबार Global Times ने इस संयुक्त अभ्यास का एक वीडियो भी जारी किया है और बताया है कि नवंबर 2021 से अब तक चीन और रूस ऐसे चार अभ्यास कर चुके हैं. जापान और चीन पड़ोसी देश हैं. और Tokyo से चीन की सीमा सिर्फ 1100 किलोमीटर दूर है. आज Quad देशों के सर्वोच्च नेताओं की दूसरी व्यक्तिगत मुलाकात हुई और ये मुलाकात लगभग 2 घंटे तक चली. इस बैठक से पहले जापान के प्रधानमंत्री Fumio Kishida (फुमिओ किशिदा) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्वागत किया और इस दौरान वो अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और ऑस्ट्रेलिया के नए प्रधानमंत्री Anthony Albanese (ऐल्बनीजी) से भी मिले.


QUAD की तस्वीर से आहत होगा चीन


इसके बाद इन चारों नेताओं ने QUAD की बैठक से पहले एक तस्वीर भी साथ में खिंचवाई और ये तस्वीर आज चीन को बहुत चुभी होगी. आज QUAD की बैठक में पांच बड़े मुद्दों पर बात हुई. इनमें पहला मुद्दा था चीन- बैठक में चारों देशों ने Indo Pacific Region में शांति और स्थिरता का माहौल बनाए रखने पर सहमति जताई और अमेरिका की तरफ से कहा गया कि वो इस क्षेत्र में किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई, नियंत्रण और उकसावे का विरोध करेगा. ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत ने भी चीन का नाम लिए बिना इस क्षेत्र में उसके प्रभाव को कम करने पर सहयोग बढ़ाने की बात कही. इसके अलावा इन चारों देशों ने तय किया है कि वो इस इलाके में Infrastructure पर अगले पांच वर्षों में 3 लाख 80 हजार करोड़ रुपये खर्च करेंगे.


दूसरा- इस बैठक में यूक्रेन और रूस के युद्ध पर भी बात हुई. भारत के विदेश मंत्रालय ने बताया है कि अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया तीनों देशों ने यूक्रेन पर भारत के रुख की प्रशंसा की है. क्योंकि भारत इकलौता ऐसा देश है, जो इस युद्ध में निष्पक्ष बना हुआ है और प्रधानमंत्री मोदी ये बात कई बार कह चुके हैं कि यूक्रेन और रूस को बातचीत के जरिए तनाव को कम करना चाहिए. हालांकि इस बैठक में अमेरिका ने यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस की काफी आलोचना की और उस पर मानव अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया.


तीसरा- इस बैठक में चारों देशों के बीच व्यापार बढ़ाने पर भी चर्चा हुई और चौथा- इस बैठक में आंतकवाद को गम्भीर मुद्दा मानते हुए चारों देशों ने इसके खिलाफ साथ आकर लड़ने की बात कही. इसके अलावा इस बैठक में Cyber Security, Semiconductor Chips की Global Supply Chain को फिर से बहाल करने और Climate Change के मुद्दे पर भी बात हुई. अब इन चारों देशों ने Indo Pacific Region में एक दूसरे के साथ Sattelite Information शेयर करने पर भी सहमति जता दी है और इससे अब ये देश चीन की सभी गतिविधियों पर नजर रख सकेंगे. इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने सिर्फ 2 मिनट 45 सेकेंड का भाषण दिया. यानी उनका भाषण बहुत छोटा और संक्षेप में था. लेकिन इसके मायने काफी अहम थे.


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