How sugar and fat affect your brain: आपने आमिर खान स्टारर ‘गजनी’ फिल्म तो जरूर देखी होगी, जिसमें उन्हें सिर पर चोट लगने के बाद कुछ याद नहीं रहता था. ऐसा केवल रील वर्ल्ड में ही नहीं होता, बल्कि रियल वर्ल्ड में भी होता है. इस बीमारी को हम शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस (Short Term Memory Loss) कहते है. इस बीमारी से ग्रसित लोगों की याददाश्त महज कुछ ही मिनट की रह जाती है. दुनिया में एक देश ऐसा है जिसकी आधी आबादी पर 'गजनी' बनने का खतरा मंडरा रहा है. 


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आधी आबादी को फैट सुगर की लत


विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के मुताबिक, साल 1975 के बाद से अभी तक मोटापे की समस्या करीब तीन गुना बढ़ गई है. साल 2016 में दुनिया भर में 13% वयस्कों को मोटे के रूप में वर्गीकृत किया गया था. कुछ देशों में मोटापे की दर अधिक है, जैसे अमेरिका में जहां 2020 में 41.9% लोग मोटे थे और 2022 के खत्म होते होते ये आंकड़ा 50% पहुंच गया है. मोटापे के कई संभावित कारण हैं, ऐसा माना जाता है कि ये खराब आहार विकल्पों और गलत लाइफस्टाइल कारण होता है जैसे भूख न लगने पर खाना और शारीरिक गतिविधि में कमी होना. 


50% लोगों की याददाश्त खोने का खतरा!


अमेरिका में आधे से ज्यादा आबादी अल्ट्रा प्रोसेस फूड खाने के आदी हो चुकी है. इस तरह के भोजन में चीनी और वसा (फैट) की मात्रा ज्यादा होती है, जो इंसान के ब्रेन को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं. जिससे ब्रेन में हॉर्मोन का स्तर असंतुलित हो जाता है. इसलिए ऐसे लोगों की याददाश्त कमजोर होने का जोखिम भी ज्यादा होता है. 


हार्मोन का खेल


मिशिगन यूनिवर्सिटी में हाल ही में हुए एक शोध में सामने आया कि मीठा खाना आपकी एक आदत भी हो सकती है. जब कोई व्यक्ति अपनी पसंद की मिठाई खाता है, तो उसकी बॉडी में डोपामाइन नाम का एक हॉर्मोन रिलीज होता है. यह हमारी मीठा खाने की इस आदत को और बढ़ाता है.


वहीं 'मेडिकल न्यूड टुडे' (medicalnewstoday) की रिपोर्ट के मुताबिक रिसर्चर्स ने फैटी और मीठे खाद्य पदार्थों और दिमाग की गतिविधियों के स्तर को जांचने के लिए तंत्रिका तंत्र की गतिविधि की जांच की गई थी. 


National Geographic की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा


साइंस जर्नल में प्रकाशित इस रिपोर्ट का जिक्र 'National Geographic' की मैगजीन में भी किया गया है. जिसकी रिपोर्ट में लिखा है कि अमेरिका के बार्सिलोना स्थित La Boqueria के बाजारों में मिलने वाली मीठी कैंडी इतनी खतरनाक हैं कि वो उनका सेवन करने वाले के दिमाग में उतना ही डोपामाइन (Dopamine) पैदा करती है, जितना डोपामाइन निकोटिन और अल्कोहल के सेवन से रिलीज होता है.


अक्सर लत को लोग धूम्रपान और शराब पीने की आदत से जोड़कर देखते हैं, लेकिन अमेरिका में 14% वयस्कों और 12% बच्चों में चीनी और वसा युक्त भोजन खाने की लत है, खासकर छुट्टियों के दौरान. मिशिगन यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर एशले गेरहार्ट का कहना है कि सुगर और फैट वाले फूड से रिलीज होने वाला डोपामाइन आनंद नहीं बढ़ाता है. यह हमें उन व्यवहारों को दोहराने के लिए प्रोत्साहित करता है. यानी जितना ज्यादा डोपामाइन जारी होता है, उतनी ही ज्यादा संभावना है कि हम उस व्यवहार को दोहराएंगे. 


कैसे कम होगा याददाश्त कम होने का खतरा?


साइंटिस्ट के शोध के मुताबिक चीनी से शरीर में डोपामाइन का स्तर 135 से 140% बढ़ता है. वहीं वसा यानी फैट (Fat) से 160%. कोकीन सामान्य डोपामाइन के स्तर को तिगुना कर सकती है, जबकि मेथामफेटामाइन सामान्य डोपामाइन के स्तर को 10 गुना बढ़ा सकती है. ऐसे में हम सभी को अपनी फैमिली के बड़े बूढ़ों की सलाह के साथ अपने डॉक्टरों की सलाह पर भी जंक और फास्टफूड के बजाए हेल्दी खाना खाना चाहिए. 


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