Noland Arbaugh: शराब के नशे में दोस्त ने लगाया फोन, अपाहिज शख्स की बदल गई जिंदगी
First Neuralink Patient: आठ साल पहले गोताखोरी करने के दौरान हुई दुर्घटना में लकवाग्रस्त हुए अर्बॉग ने एक इंटरव्यू में बताया कि 6 महीने पहले एक दोस्त के नशे में फोन कॉल के कारण उसकी जिंदगी बदल गई.
Neuralink Patient Noland Arbaugh: परिस्थितियां कितनी ही बुरी क्यों न हो नाउम्मीद नहीं होना चाहिए. हिम्मत और हौसला बनाए रखिए क्योंकि ऊपरवाला जिंदगी बदलने के लिए कब कौन सा दरवाजा खोल दे? कोई नहीं जानता. कुछ ऐसी ही दिलचस्प कहानी है दुनिया के पहले न्यूरालिंक पेशेंड नोलांद अर्बॉग की जिनके पास आई एक फोन कॉल से उनकी जिंदगी बदल गई. अब उनकी कामयाबी की कहानी न सिर्फ लोगों को प्रेरणा दे रही बल्कि वायरल भी हो रही है. कुछ समय पहले नोलांद ने ब्रेन की सर्जरी कराई थी.
कैसे बदली जिंदगी?
आठ साल पहले एक समंदर में डाइविंग के बाद लकवाग्रस्त हुए 29 साल के नोलांद अर्बॉघ ने बताया कि उन्हें छह महीने पहले एक दोस्त के नशे के दौरान की गई फोन कॉल के कारण न्यूरालिंक के बारे में पता चला था. उन्होंने बताया कि मेरा दोस्त एक दिन नशे में था. वो अपनी पहुंच और रसूख के बारे में बड़बड़ा रहा था. उसने मुझे बताया कि न्यूरालिंक अपने पहले मानव परीक्षण रोगी की तलाश में है. ये बात बहुत से लोगों को पता नहीं है अगर वो चाहे तो इस काम में उसकी मदद कर सकता है. उनके कहां करते ही दोस्त ने नोलांद का आवेदन भरने में मदद की, हालांकि नॉमिनेशन के दौरान उनका नाम गलत लिख गया.
एरिजोना के रहने वाले नोलांद के आश्चर्यजनक किस्से को बताते हुए न्यूरालिंक इंजीनियर ब्लिस चैपमैन के कहा, नोलांद का पसंदीदा गेम बीरियो कार्ट था. उन्होंने अर्बॉघ को इसे अपने दिमाग से खेलते हुए देखा था. इसका वीडियो पिछले हफ्ते सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया था. चैपमैन ने कहा कि वो स्वभाव से बहुत एनर्जेटिक था. उसने एलन मस्क के ब्रेन ट्रांसप्लांट प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने की इच्छा जताई थी. न्यूरालिंक स्टाफ ने एक वीडियो जारी करते हुए नोलांद की सहमति मिलने की पुष्टि की थी.
यूं दिखा चमत्कार
न्यूरालिंक कर्मचारियों के साथ करीब एक घंटे तक चले सेशन के दौरान एक वीडियो नोलांद ने भी अपने X अकाउंट पर पोस्ट किया. जिसमें उसे Neuralink brain-computer interface (BCI) के जरिए माउस और कर्सर को कंट्रोल करना सीखते समय एक रिकॉर्ड तोड़ते हुए दिखाया गया.
न्यूरालिंक इंजीनियर चैपमैन का दावा है कि यह चमत्कार तब हुआ जब नोलांद के ब्रेन में चिप लगे हुए 24 घंटे भी नहीं हुए थे. ये इंप्लान्ट के पहले दिन का सातवां घंटा था.
नोलांद ने बताया कि न्यूरालिंक का पहला मानव रोगी बनने की प्रक्रिया उसके लिए आसान नहीं थी लेकिन वो पहले से इतना उत्साहित थे जितना कि उनसे कोई उम्मीद कर सकता था. उन्होंने बताया कि ये एक आसान ब्रेन सर्जरी थी. हालांकि मैं ठीक होने में बहुत अधिक समय लगने की उम्मीद कर रहा था, लेकिन उन्होंने 24 घंटे बाद ही मुझे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया. मैं खुश हूं हालांकि, न्यूरालिंक का फेस बनने के फायदों और चुनौतियों के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण था.