Cheap Oil Selling Countries: यूक्रेन से चल रही जंग के मद्देनजर अमेरिका समेत कई देशों ने रूस पर कई तरह के बैन लगाए हुए हैं. वहीं रूस भी झुकने को तैयार नहीं है. वह कई देशों को कम दरों पर तेल बेच रहा है, ताकि अर्थव्यवस्था पर कोई मुश्किल न खड़ी हो. पिछले एक साल में ऑयल एक्सपोर्ट की रेस में सऊदी अरब की सल्तनत को रूस से कड़ी चुनौती मिली है. 


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जिन देशों को रूस कम कीमत पर तेल बेचता है, उनमें से अधिकतर एशियाई  हैं. इसलिए कम कीमत में तेल बेचकर रूस ने कई एशियाई देशों को अपने पाले में कर लिया है. 


रूस के रियायती दरों पर तेल बेचने के फैसले ने किस कदम सऊदी अरब को झटका दिया है, उसका इल्म इसी बात से हो जाता है कि  भारत यूक्रेन युद्ध से पहले रूस से सिर्फ 1 परसेंट से भी कम तेल खरीदता था. लेकिन अब उसका सबसे ज्यादा तेल आयात रूस से होता है. इस फेहरिस्त में  इराक, सऊदी अरब और यूएई जैसे देश भी पिछड़ चुके हैं. बीते दिनों पाकिस्तान को भी रूस ने कम दरों पर तेल बेचने का निर्णय लिया है.


सऊदी ने क्या लिया फैसला


रूस की बढ़ती धमक को देखते हुए अब एशियाई देशों के लिए सऊदी अरब ने पिछले चार महीने में पहली बार तेल की कीमतें घटाने का फैसला किया है. दुनिया में सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश सऊदी अरब ही है. सऊदी अरब की तेल कंपनी अरामको के मुताबिक, अरब लाइट ग्रेड की जून में लोड होने वाली तेल की कीमत में मई के मुकाबले 25 सेंट प्रति बैरल की कमी की गई है.


यह कमी भी मार्केट की अनुमानित कटौती से 40 सेंट कम है. पेट्रोल बेचने वाले देशों की संस्था और उसके सहयोगियों (OPEC+) की तरफ से ऑयल मैन्युफैक्चरिंग में कटौती का ऐलान किया गया था. इसके बाद माना जा रहा था कि सऊदी अरब भी कच्चे तेल की कीमतें करीब 40 सेंट घटाएगा.  


सबसे महंगा कच्चा तेल सऊदी अरब का


अप्रैल 2023 में भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक आंकड़ा जारी किया था. इसमें बताया गया कि भारत ने फरवरी के महीने में रूस से 76.92 डॉलर प्रति बैरल तेल खरीदा. जबकि इराक से 76.19 डॉलर का तेल लिया गया. वहीं सबसे महंगा तेल भारत को सऊदी से मिला, जो उसने 87.66 डॉलर प्रति बैरल की दर से खरीदा.